श्री रामशरणम् आश्रम: रामायण ज्ञान यज्ञ का दूसरा दिन, कथा के अनमोल मोती

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Mar, 2018 08:24 AM

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श्री रामशरणम् आश्रम 17 लिंक रोड द्वारा साई दास स्कूल के ग्राऊंड में आयोजित 8 दिवसीय रामायण ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन पूज्य कृष्ण विज ने सत्यानन्द जी द्वारा रचित श्री वाल्मीकि रामायण की चौपाइयों की व्याख्या करते हुए कहा कि

जालन्धर (पांडे): श्री रामशरणम् आश्रम 17 लिंक रोड द्वारा साई दास स्कूल के ग्राऊंड में आयोजित 8 दिवसीय रामायण ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन पूज्य कृष्ण विज ने सत्यानन्द जी द्वारा रचित श्री वाल्मीकि रामायण की चौपाइयों की व्याख्या करते हुए कहा कि इस दुनिया में काम, क्रोध, लोभ का त्याग करना चाहिए। जलते दीपक को बुझाने वाले बहुत होते हुए, परिवार रूपी माला को तोडऩे वाले बहुत मिलेंगे लेकिन बुझी को जलाने और टूटे को जोडऩे वाला दुनिया में केवल परमपिता परमेश्वर श्री राम हैं। 


पूज्य कृष्ण विज ने कहा कि पुण्य कर्मों के परिणाम से महापुरुषों का संग मिलता है। उन्होंने श्रीमती रेखा जी द्वारा गाई गई चौपाइयों की व्याख्या करते हुए कहा कि आहिल्या को तार कर जब श्री राम गुरु वशिष्ठ जी के साथ राजा जनक के राज्य में प्रवेश करते हैं तब राजा जनक श्री राम को अपने महल में रहने के लिए कहते हैं। तब श्री राम जी ने कहा कि हे राजन धन-दौलत तो मिल सकता है लेकिन गुरु चरणों का आसरा, गुरु चरणों में वास बड़े भाग्य से मिलता है। महापुरुषों का संग बड़ी मुश्किल से मिलता है। उधर, आहिल्या का पुत्र राजपुरोहित शतानंद को जब पता चलता है कि प्रभु श्री राम आए हैं तो वह उनके चरणों में जाकर गिर जाता है और कहता है कि हे प्रभु आपने हमारे वंश को तार दिया। 


श्री कृष्ण जी ने कहा कि राजा जनक विश्वामित्र से कहते हैं कि मेरी पुत्री सीता ने व्रत लिया हुआ है कि जो भी धनुष को उठाएगा उसे ही वरमाला पहनाएगी। राजा जनक जी ने सीता के विवाह के लिए तैयारियां पूर्ण कर चोरों ओर संदेशा भिजवा दिया कि जो भी महाबली राजा-महाराजा धनुष को तोड़ेगा सीता का विवाह उसी से कर दिया जाएगा। राजा जनक का निमंत्रण पाते ही कई राजकुमार आए और किसी से धनुष टस से मस नहीं हो सका। तब श्री राम जी भरी सभा में गुरु का आशीर्वाद लेकर उठे और उन्होंने धनुष उठा कर तोड़ दिया। चारों दिशाओं में जय श्री राम के नाम स्वर से गूंज उठी। सीता ने राम को वरमाला पहना दी। 


श्री कृष्ण जी ने कहा कि जग में वही जन्मा कहलाता है जो कुल का नाम रोशन करता है। इस मौके पर श्रीमती रेखा जी द्वारा गाई गई राम नाम की ध्वनि ने पंडाल में उपस्थित हजारों साधकों को आत्मविभोर कर दिया। सभा का अंत सर्वशक्ति मते परमात्मने श्री रामाय नम: के साथ हुआ।

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