सर्दी के मौसम को ‘गुड बाय’ कहने वाली लोहड़ी पर गाएं ये गीत, मचाएं धमाल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Jan, 2018 08:54 AM

sing these songs on lohri saying good bye to winter season

‘आया लोहड़ी दा त्योहार गिद्दा पाओ कुडियो, आप नच्चो ते होरां नूं नचाओ कुडियो’ पोष मास की ठिठुरती सर्दी से बचने के लिए हर साल मकर सक्रांति से एक दिन पहले  पंजाब, हरियाणा ओर हिमाचल प्रदेश में लोहड़ी उत्सव मनाया जाता है। भारत ऋषि, कृषि और ऋतु प्रधान...

‘आया लोहड़ी दा त्योहार गिद्दा पाओ कुडियो, आप नच्चो ते होरां नूं नचाओ कुडियो’
पोष मास की ठिठुरती सर्दी से बचने के लिए हर साल मकर सक्रांति से एक दिन पहले  पंजाब, हरियाणा ओर हिमाचल प्रदेश में लोहड़ी उत्सव मनाया जाता है। भारत ऋषि, कृषि और ऋतु प्रधान देश है और यहां सभी त्योहार देश की प्राचीन संस्कृति और सभ्यता के प्रतीक हैं। सर्दी के मौसम को ‘गुड बाय’ कहने वाला यह त्योहार लोग मिल जुलकर मनाते हैं। इन दिनों में किसान भी अपनी फसल बीजकर फ्री होते हैं तो वह अपने साथियों के साथ रात को इक्टठे होकर ठंड से बचने के लिए आग जला कर सेकते हैं तथा खुशी में ढोल बजाकर नाच कर खुशी का इजहार करते हैं।


लोहड़ी गीत-‘ सुन्दर मुन्दरिए हो, तेरा कौम विचारा, दुल्ला भट्ठी वाला, दुल्ले ने धी ब्याही,सेर शक्कर पाई, कुड़ी दे बोझे पाई, कुड़ी दा लाल पटाका,कुड़ी दा सालू पाटा, सालू कौन समेटे, कुड़ी दा जीवे चाचा, चाचा चूरी कुट्टी, जिमींदारां लुट्टी, जिमींदार सुदाए, गिन गिन भोले पाए,इक भोला रह गया, सिपाही पकड़ के लै गया’ ।


डब्बा भरिया लीड़ा दा,ऐ घर अमीरां दा,- दे माई लोहड़ी जीवे तेरी जोड़ी, 


हुक्का भाई हुक्का, ऐ घर भुक्खा


साढ़े पैरां हेठां रोड़, सानूं छेती छेती तोर 


साढ़े पैरां हेठ सलाईयां, असी केहड़े वेले दियां आईयां


सवा रुपईयां गुड़ दी रोड़ी मुंडे दी वधाई दा  


लोहड़ी पर अधारित कुछ छोटे-छोटे से गीतों की तैयारी गली-मुहल्लों में नन्हें-मुन्नों की टोलीयां गाती हुई जरुर सुनती हैं।


पंजाब गिद्दे भांगड़े के साथ ही अपने खान-पान के लिए जाना जाता है और लोहड़ी के उपलक्ष्य में बाजारों की सजावट तो देखते ही बनती है। हर तरफ विभिन्न खाने-पीने की वस्तुओं की दुकानें सजने लगती है। बाजारों में खरीददारों की भीड़ भी खूब जमती है। मुंगफली, रेवड़ी, गच्चक, मक्की के दाने, चिड़वे, तिल भुगगा के अतिरिक्त फलों की दुकानों की रौनक भी खूब बढ़ गई है। 


आजकल होती है धीयां दी लोहड़ी- प्राचीन काल से यह परम्परा चली आ रही है कि जिन घरों में लडक़े का जन्म हुआ हो या लडक़े का विवाह हुआ है उन घरों में ही लोहड़ी का उत्सव होता था परंतु आजकल समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन आया है क्योंकि अब तो उन घरों में भी लडक़ी की लोहड़ी मनाने की तैयारियां की जा रही हैं जिनके घरों में लडक़ी ने जन्म लिया है। घरों को रंग-बिरंगी लाईटों से सजाया जा रहा है क्योंकि उनके घरों में भी अब उत्सव जो मनाए जाने हैं

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