सूर्य ग्रहण: बनेगा गजब का संयोग, तकरीबन 100 साल बाद आया है ऐसा अवसर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Aug, 2017 11:56 AM

solar eclipse on 21st august 2017

सूर्य सम्पूर्ण जगत का मूल ऊर्जा स्रोत है। सूर्य से ही सभी नवग्रह ऊर्जा लेकर अपनी कार्यप्रणाली चलाते हैं। यहां तक की धरती का उपग्रह चंद्र भी परोक्ष रूप से सूर्य से ही ऊर्जा लेता है। सम्पूर्ण संसार की जीवनी सूर्य पर ही निर्भर है।

सूर्य सम्पूर्ण जगत का मूल ऊर्जा स्रोत है। सूर्य से ही सभी नवग्रह ऊर्जा लेकर अपनी कार्यप्रणाली चलाते हैं। यहां तक की धरती का उपग्रह चंद्र भी परोक्ष रूप से सूर्य से ही ऊर्जा लेता है। सम्पूर्ण संसार की जीवनी सूर्य पर ही निर्भर है। रोशनी, मौसम, वाष्पीकरण, वातावरण, वनस्पति, खेती, खाद्यान तथा लैंगिक और अलंगिक जीवन प्रत्यक्ष या आप्रत्यक्ष रूप से सूर्य पर ही निर्भर हैं अर्थात अगर सूर्य अपनी ऊर्जा देना बंद कर दे तो सम्पूर्ण ब्रह्मांड कुछ ही दिनों में मृत हो जाएगा। ग्रहण भी थोड़े समय हेतु सूर्य व चंद्र की ऊर्जा संचालन में अवरोध पैदा करता है। ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि से शब्द "ग्रहण" एक नकारात्मकता है, जो संकट उत्पन्न कर अनिष्ट दर्शाती है। विशेषकर सूर्य ग्रहण का महत्व सर्वाधिक है। हालांकि सोमवार दिनांक 21.08.17 को पड़ने वाला यह सूर्य ग्रहण भारत में अदृश्य रहेगा परंतु यह मात्र खगोलीय घटना नहीं अपितु इसका वैज्ञानिक, आध्यात्मिक व ज्योतिषीय महत्व है जिसका जगत के समस्त प्राणियों पर काफी बड़ा प्रभाव पड़ेगा।


सोमवार दि॰ 21.08.17 को पड़ने वाला यह सूर्य ग्रहण गजब का संयोग बना रहा है। 1918 के पश्चात पहली बार तकरीबन 100 साल बाद ऐसा अवसर आया है जब सम्पूर्ण अमेरिकी महाद्वीप में पूर्ण सूर्यग्रहण दिखाई देगा। इसके साथ-साथ सूर्यग्रहण यूरोप, उत्तर-पूर्व एशिया, उत्तर-पश्चिम अफ्रीका, प्रशांत अटलांटिक के ज्यादातर हिस्सों में दिखाई देगा। इस ग्रहण की कुल अवधि 5 घं 18 मि॰ रहेगी जबकि पूर्ण सूर्यग्रहण की कुल अवधि 3 घं 13 मि॰ रहेगी। ज्योतिषशास्त्र के पंचांग खंड अनुसार यह ग्रहण सोमवार दि॰ 21.08.17 भाद्रपद अमावस तिथि को भारतीय समयानुसार रात 22:16 से मंगलवार दि॰ 22.08.17 रात 02:34 के मध्य भूगोल पर दिखाई देगा। खग्रास रात 22:18 पर प्रारंभ होगा व परम्ग्रास रात 23:51 पर होगा, खग्रास मंगलवार दि॰ 22.08.17 की रात 01:32 पर समाप्त होगा व सम्पूर्ण ग्रहण रात 02:34 बजे समाप्त होगा। सोमावती अमावस्या होने से इस ग्रहण का धार्मिक महत्व भी है। इस सूर्यग्रहण से विश्व की राज्यनिती भी प्रभावित होगी।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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