Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Aug, 2017 04:42 PM
वृंदावन का कृष्ण कन्हैया
वृंदावन का कृष्ण कन्हैया,
सब की आंखों का तारा,
मन ही मन क्यों जले राधिका,
मोहन तो है सबका प्यारा,
वृंदावन का कृष्ण कन्हैया...
वृंदावन का कृष्ण कन्हैया
वृंदावन का कृष्ण कन्हैया,
सब की आंखों का तारा,
मन ही मन क्यों जले राधिका,
मोहन तो है सबका प्यारा,
वृंदावन का कृष्ण कन्हैया...
जमनातट पर नंद का लाला
जब-जब रास रचाए रे,
तन-मन डोले कान्हा ऐसी,
बंसी मधुर बजाए रे,
सुध-बुध भूली खड़ी गोपियां
जाने कैसा जादू डारा
वृंदावन का कृष्ण कन्हैया...
रंग सलोना ऐसा जैसे छाई हो घट
सावन की
ऐ री मैं तो हुई दीवानी
मनमोहन मन भावन की
तेरे कारण देख बांवरे
छोड़ दिया मैंने जग सारा
वृंदावन का कृष्ण कन्हैया...।
सबकी आंखों का तारा
मन ही मन क्यों जले राधिका
मोहन तो है सबका प्यारा।
मनमोहन कृष्ण मुरारी
मनमोहन कृष्ण मुरारी,
तेरे चरणों में बलिहारी,
वारी-वारी जाऊं मैं बनवारी,
मनमोहन कृष्ण मुरारी।
पलक मुंदकर देखूं तुमको,
मधुर-मधुर मुस्काते,
काङ्क्षलदी के तट पर बैठे,
मीठी तान सुनाते।
सुन राधा सुध बुध हारी रे
मनमोहन कृष्ण मुरारी
तेरे चरणों की बलिहारी
वारी-वारी जाऊं मैं बनवारी
मनमोहन कृष्णा मुरारी!
तन तुमसे, मन मोहन तुमसे
तुमसे जीवन ज्योति,
सौंप चुकी मैं तुमको स्वामी,
अपने मन का मोती,
झूठी है ये दुनिया सारी रे,
मनमोहन कृष्ण मुरारी,
तेरे चरणों की बलिहारी,
वारी-वारी जाऊं मैं बनवारी।
मनमोहन कृष्णा मुरारी,
तेरे चरणों की बलिहारी।
मनमोहन मन में
मनमोहन मन में हो तुम्हीं
मनमोहन मन में हो तुम्हीं
मोरे अंग-अंग तुम्हीं समाए
जानो या जानो न, हो तुम्हीं
मनमोहन मन में मन में
हो तुम्हीं, हो तुम्हीं, हो तुम्हीं,
मनमोहन मन में हो तुम्हीं।
मोरे अंग-अंग तुम्हीं समाए
जानो या जानो न हो तुम्हीं।
देख देख तेरी छब सांवरिया
बनी है राधा तुम्हारी बांवरिया,
रोम-रोम तुम्हरे गुण गाए,
मानो या मानो न हो तुम्हीं,
देख देख तोरी छब सांवरिया
बनी है राधा तुम्हरी बांवरिया
रोम रोम तुम्हरे गुण गाए
मानो या मानो न हो तुम्हीं