Edited By ,Updated: 31 Jan, 2017 12:32 PM
वसंत पंचमी का पर्व सांस्कृतिक, भौगोलिक तथा ऐतिहासिक इत्यादि सभी दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व का पर्व है। विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म दिवस वसंत पंचमी है। मां भगवती सरस्वती
वसंत पंचमी का पर्व सांस्कृतिक, भौगोलिक तथा ऐतिहासिक इत्यादि सभी दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व का पर्व है। विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्म दिवस वसंत पंचमी है। मां भगवती सरस्वती समस्त अविद्या तथा जड़ता को हरने वाली हैं। विद्या आरंभ हेतु सभी के लिए मां सरस्वती का पूजन परम आवश्यक है। वाणी, बुद्धि, विद्या और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की आराधना तो भगवान अच्युत, ब्रह्मा जी तथा भगवान शंकर भी करते हैं। ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार मां सरस्वती भगवान श्री कृष्ण जी के कंठ से प्रकट हुईं तथा श्वेत व तथा हाथों में सदैव वीणा धारण किए रहती हैं। पुराणों में कहा गया है कि सरस्वती से खुश होकर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें यह वरदान दिया था कि वसंत पंचमी के दिन उनकी आराधना की जाएगी।
या देवी सर्वभूतेषु विद्या रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
अर्थात : जो देवी सर्व भूतों में विद्या रूप से स्थित हैं उन आद्या शक्ति को नमस्कार है, नमस्कार है, नमस्कार है।
वसंत पंचमी पर्व में पीले रंग का बहुत महत्व है। भगवान श्री कृष्ण जी को पीत व बहुत प्रिय हैं तथा वह स्वयं श्री गीता जी में कहते हैं कि ऋतुओं में वसंत ऋतु मैं हूं। इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व है। पीला रंग बुद्धि का परिचायक है। इस दिन लोग अपने घरों को पीले फूलों से सजाते और पीले रंग के परिधान पहनते हैं। वैसे इस पर्व का सनातन नाम श्री पंचमी है, वसंत पंचमी नहीं।
यह पर्व लक्ष्मी की आराधना का पर्व भी है क्योंकि पुराणों के अनुसार इसी दिन सिंधुसुता रमा ने विष्णु के कंठ में जयमाला डालकर उनका वरण किया था। इस प्रकार यह सृष्टि के पालक और वैभव की शक्ति के विवाह तथा मिलन का महोत्सव भी है। इसी दिन प्रतिभा का नवोन्मेष हुआ और पुरुष वैभव के सौंदर्य और सौष्ठव से अलंकृत हो उठा। रमा और विष्णु का विवाह अर्थात सौंदर्य, संपत्ति तथा सुषमा द्वारा पालक तत्व का वरण जिसके परिणामस्वरूप अंतर का उल्लास सहसा ही उच्छलित होने लगा।
लक्ष्मी की पूजा करना ही महत्वपूर्ण नहीं है क्योंकि लक्ष्मी जी स्वभाव से ‘चंचल’ हैं। धन की देवी लक्ष्मी को अगर सरस्वती के साथ रखा जाए तो वह लंबे समय तक टिकती हैं। सरस्वती ज्ञान की देवी हैं। अगर आप लक्ष्मी के साथ सरस्वती का ‘मिलन’ करा देंगे तो लक्ष्मी लंबे समय तक ठहरेंगी। इस दिन देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होने के बाद भक्त को कभी धन की कमी नहीं होती।