Edited By ,Updated: 30 Mar, 2017 02:51 PM
30 मार्च को मासिक श्री सिद्धि विनायक चतुर्थी व्रत है। आपके लिए व्रत करना संभव न हो तो गणेश जी को
31 मर्च को मासिक श्री सिद्धि विनायक चतुर्थी व्रत है। आपके लिए व्रत करना संभव न हो तो गणेश जी को मोदक का भोग अवश्य लगाएं। शास्त्रों के मतानुसार भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए सबसे सरल व उत्तम उपाय है मोदक का भोग। गणपति पूजा में अगर अपने मोदक का भोग अर्पित नहीं किया तो आपकी पूजा अधूरी ही रहती है। इसका कारण यह है कि गणेश जी को सबसे प्रिय मोदक है। गणेश जी का मोदक प्रिय होना भी उनकी बुद्धिमानी का परिचय है। भगवान गणेश की कोई भी मूर्त देखें तो उनके साथ सर्वदा उनका प्रिय भोजन मोदक अवश्य होता है। गणेश जी के हाथ में रखे मोदक का अर्थ है कि उनके हाथ में आनंद प्रदान करने की शक्ति है। मोदक मान का प्रतीक है इसलिए उसे ज्ञानमोदक कहकर भी संबोधित किया जाता है। जिस प्रकार मोदक मीठा होता है वैसे ही ज्ञान से प्राप्त आनंद भी मीठा होता है।
'मोद' यानी आनंद व 'क' का अर्थ है छोटा-सा भाग। अतः मोदक यानी आनंद का छोटा-सा भाग। मोदक का आकार नारियल समान यानी 'ख' नामक ब्रह्मरंध्र के खोल जैसा होता है। कुंडलिनी के 'ख' तक पहुंचने पर आनंद की अनुभूति होती है।
पद्म पुराण के सृष्टि खंड में गणेश जी को मोदक प्रिय होने का जो वृतांत मिलता है उसके अनुरूप मोदक का निर्माण अमृत से हुआ है। यजुर्वेद के अनुसार गणेश जी परब्रह्म स्वरूप हैं। लड्डू को ध्यानपूर्वक देखने से ज्ञात होता है कि उसका आकार ब्रह्माण्ड के समान है। गणेश जी के हाथों में लड्डू का होना यह भी दर्शाता है कि गणेश जी ने ब्रह्माण्ड को धारण कर रखा है। सृष्टि के समय गणेश जी ब्रह्मण्ड को प्रलय रूपी मुख में रख लेते हैं और सृष्टि के आरंभ में इसकी रचना करते हैं।