नारद जी ने श्रीहरि से पूछा एेसा प्रश्न, जवाब सुन खुल गई आंखें

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jan, 2018 01:20 PM

story of narad ji and lord vishnu

एक बार नारदजी भगवन विष्णु के पास पहुचें और उनसे कहने लगे कि भगवन धरती पर बहुत पाप बढ़ गया है अच्छे लोगों के साथ बुरा और बुरे लोगों के साथ अच्छा हो रहा कि ऐसा क्या हो गया कि आप इतने व्यथित है।

एक बार नारदजी भगवन विष्णु के पास पहुचें और उनसे कहने लगे कि भगवन धरती पर बहुत पाप बढ़ गया है अच्छे लोगों के साथ बुरा और बुरे लोगों के साथ अच्छा हो रहा कि ऐसा क्या हो गया कि आप इतने व्यथित है। जो आप कह रहे हैं उससे संबंधित अगर कोई घटना याद है तो बताइएे।


तब नारद जी ने उन्हें एक घटना सुनाई। नारद जी ने कहा "प्रभु आज सुबह मैंने देखा एक गाय दलदल में फंस गई, तभी उस ही रास्ते से एक चोर गुजर रहा था। उसने उस गाय को देखा दलदल में फंसा देखा तो, परंतु उसे बचाने के बजाय वो उसी के ऊपर पैर रख कर दलदल पार करके निकल गया। कुछ दूर जाने के बाद उसको सोने के जेवरों की थैली मिल गई।


फिर कुछ देर बाद उस ही रास्ते से एक साधु जा रहा था जब उसने गाय को देखा तो उससे रहा नहीं गया और उसने गाय को बड़ी यतन से कीचड़ से बाहर निकाल लिया। फिर कुछ दूर जाने के बाद वो साधु एक गड्ढे में गिर गया जिस से उसे काफी चोट भी आ गई, तो प्रभु ऐसा अन्याय क्यों। जिसने अच्छा काम किया उसके साथ उल्टा बुरा हुआ और जिसने बुरा किया उसके साथ अच्छा। 


तब विष्णु भगवान ने जो कहा, उसे सुनकर नारद जी आंखें खुल गई। भगवान ने कहा कि सुनो नारद उस चोर के भाग्य में  खजाना था लेकिन उसने उस गाय को दलदल से निकाल उसकी जान नहीं बचाई। इसलिए उसे स्वर्ण के कुछ मोहरे ही मिले। जबकि उस साधु की आज मृत्यु होनी लिखी थी। लेकिन उसने अपनी जान की परवाह न करते हुए उस गाय को दलदल से बागर निकाल कर उसके प्राण बचाएे। इसलिए उसे बस हल्की- फुल्की चोट आई। आगे भगवान ने नारदजी को समझाते हुए कहा कि कर्म का फल तो मिलता ही है, हां हो सकता है उसका माध्यम अलग हो लेकिन इंसान को उसके कर्मों का फल मिलता जरूर है।

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