रूप-संपदा की मलिका एक रात में हो गई कुरूप, वजह जान आप भी हो जाएंगे नतमस्तक

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Jul, 2017 12:45 PM

story of saint who loves god so much

तमिल महिला संत अवय्यार के माता-पिता का निधन तभी हो गया था जब वह काफी छोटी थी। एक दयालु कवि ने उनका लालन-पालन किया। जब उनकी उम्र 16 वर्ष की हुई तो योग्य वर की

तमिल महिला संत अवय्यार के माता-पिता का निधन तभी हो गया था जब वह काफी छोटी थी। एक दयालु कवि ने उनका लालन-पालन किया। जब उनकी उम्र 16 वर्ष की हुई तो योग्य वर की खोज की जाने लगी। देखने में तो वह सुंदर थीं ही, एक राजकुमार ने उन्हें पसंद भी कर लिया लेकिन महिला संत अवय्यार का ध्यान बचपन से ही भगवद् भजन में लग गया था। उन्हें घर-गृहस्थी से विरक्ति हो गई थी।


उन्होंने अपने अभिभावकों से कहा, ‘‘मैंने तो अपना जीवन भगवद् भजन, काव्य रचना और जनसेवा में बिताने का निश्चय किया है, आप मेरे विवाह का विचार त्याग दें किन्तु परिजनों ने उनकी बात अनसुनी कर दी। जब अवय्यार ने देखा कि उनके कहने का कोई असर नहीं हुआ है तो उन्होंने विचार किया कि जिस यौवन और रूप-संपदा के कारण उन्हें वैवाहिक बंधन में जकड़ा जा रहा है, यदि वही न रहें तो उनकी इच्छा पूरी हो सकती है। वह भगवान की शरण में गईं और उनसे याचना की, ‘‘भगवन मेरा यौवन और सौंदर्य भजन पूजन, सरस्वती की उपासना और ज्ञान दान में बाधक बन रहे हैं इसलिए हे प्रभु, मेरे इस तन को कुरूप कर दो ताकि मैं बेहिचक सबकी सेवा कर सकूं।’’


कहते हैं परमात्मा ने उनकी पुकार सुन ली और एक रात्रि में ही अवय्यार के शरीर का सारा तेज जाता रहा। वह एक अधेड़ की भांति कुरूप दिखाई देने लगीं। लोगों ने जब देखा तो हैरान हो गए मगर बाद में उन्हें सही बात पता चली तो वे उनके त्याग की प्रशंसा करने लगे। इसके बाद अवय्यार ने अपना जीवन भगवद् भजन और धार्मिक ग्रंथ रचना में व्यतीत किया।


उनके एक ग्रंथ ‘नीति नेरि विलंखम’ में लिखा है कि शरीर पानी का बुलबुला और धन-संपत्ति समुद्र की लहरें हैं। पानी से लिखी रेखाएं जितने समय तक टिकती हैं, शरीर और धन भी उतने ही काल तक रहता है।

 

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