अक्षय तृतीया पर अवश्य करें ये काम, तभी मिलेगा लक्ष्मी का साथ

Edited By ,Updated: 26 Apr, 2017 08:46 PM

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वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान विष्णु  का अवतार हुआ था इसलिए यह तिथि अक्षय तृतीया के नाम से प्रसिद्ध है। वैसे तो

वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को भगवान विष्णु  का अवतार हुआ था इसलिए यह तिथि अक्षय तृतीया के नाम से प्रसिद्ध है। वैसे तो हिंदू धर्म में किसी भी विवाह आदि उत्सव तथा किसी भी शुभ कार्य में मुहूर्त को अधिक महत्व दिया जाता है परंतु शास्त्रानुसार वैशाख मास की यह तृतीया स्वयं सिद्घ मुहूर्त है। इस बार अक्षय तृतीया 28 अप्रैल को पड़ रही है तथा इस दिन कोई भी शुभ कार्य यानि विवाह, शगुन, बच्चों के मुण्डन, भवन का निर्माण कार्य आदि किसी भी शुभ एवं मांगलिक कार्य को मुहूर्त निकलवाए बिना ही किया जा सकता है।

क्या करना शुभ है
अक्षय तृतीया का दिन एक पर्व के रुप में मनाया जाता है तथा यह दिन तीर्थ स्थान जात-पात, दान, र्तपण आदि कार्यों के लिए विशेष पुण्य फलदायक भी है। इस दिन जाप, पाठ, हवन यज्ञादि कर्म करने का फल अनन्त गुणा होता है। इस दिन किए गए सभी शुभ कर्म अक्षय हो जाते हैं। इस तिथि की गिनती युगादि तिथियों में की जाती है। इसी तिथि को नर-नारायण, भगवान परशुराम और हयग्रीव अवतार हुए थे तथा इसी दिन त्रेता युग का भी आरंभ हुआ था। इस तिथि को जहां स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है वहीं यह हर प्रकार का सुख और सौभागय देने वाली तिथि है। इसीलिए इसे सौभाग्य दिवस एवं लक्ष्मीं सिद्घि दिवस भी कहते हैं। भविष्य  पुराण के अनुसार यह संपूर्ण पापों का नाश करने वाली तथा सभी भौतिक सुखों को देने वाली तिथि है। इस दिन यथाशक्ति धर्म-कर्म करें तथा ब्राह्मणों को दक्षिणा सहित दान दें। इस दिन गन्ने के रस से बने पदार्थो के साथ ही दूध, दहीं चावल तथा लड्डुओं का भोग भगवान को लगाया जाता है। जौं को सभी धान्यों का राजा माना जाता है इसलिए जौं के दान का भी विशेष महत्व है। शिव पुराण के अनुसार जो मनुष्य अक्षय तृतीया के दिन आलस्य त्यागकर कमल पुष्पों के साथ भगवान का पूजन करता है उसे संसार के सभी सुखों की प्राप्ति होती है तथा वह कीर्ती को प्राप्त करके यश का भागी बनता है। 


अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना है शुभफलदायक 
वैसे तो किसी भी कार्य के लिए आभूषणों को बरकत के रूप में माना जाता है तथा मां लक्ष्मीं का वास भी स्वर्ण में रहता है इसलिए इस दिन सोना खरीदना शुभ माना जाता है तथा मां लक्ष्मीं का वास घर में स्थाई रूप से बनाए रखने के लिए लोग सोने के सिक्के अथवा कोई सोने के आभूषण खरीदते हैं। 


क्या है पुण्य फल 
जो मनुष्य इस दिन गंगा स्नान करता है उसके सभी पाप  नष्ट हो जाते हैं तथा जिस कामना से वह उस दिन कोई भी शुभ कार्य करता है वह अवश्य पूरी हो जाती है तथा उसे संसार के सभी सुखों की  प्राप्ति होती है।

 

क्या कहते हैं ज्योतिष
ज्योतिषाचार्य  पंडि़त आदित्य प्रकाश शुक्ला का कहना है कि वैसे तो किसी भी दिन किसी भी वस्तु का दान मनुष्य को अपनी सुविधा एवं सामर्थ्य के अनुसार करना चाहिए परंतु शास्त्रों के अनुसार इस दिन सत्तु और गुड़ का दान करना अति  शुभफलदायक है।  इस दिन किसी को अप शब्द नहीं कहने चाहिए तथा न ही किसी से कोई झगड़ा आदि करना चाहिए। जो लोग मौन धारण करके कर्म करते हैं उन्हें अति उत्तम  पुण्य फल की  प्राप्ति होती है, इसलिए किसी के प्रति द्वेष भाव न रखने में ही अपनी भलाई है। इस दिन प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि क्रियाओं से निपटकर घर में जल के कलश को स्थापित करके उस पर शुभता के  प्रतीक नारियल रखें। बाद में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मीं और भगवान श्रीकृष्ण जी का विधिवत  धूप ,दीप , नेवैद्य, केले और आम के साथ  पूजन करना चाहिए तथा विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र के साथ ही अनाज अथवा जल भरे पात्र, सोने-चांदी के आभूषणों का दान भी दक्षिणा सहित करना उत्तम है। 

वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com 

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