Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Feb, 2018 10:33 AM
हर वर्ष 14 फरवरी को पूरे देश में हर जगह वैंलेटाइन्स डे की धूम देखवे को मिलती है। यह दिन प्यार करने वालों के लिए बहुत महत्व रखता है। इस दिन कपल्स एक-दूसरे से अलग-अलग अंदाज में अपने प्यार का इजहार करते हैं।
हर वर्ष 14 फरवरी को पूरे देश में हर जगह वैंलेटाइन्स डे की धूम देखवे को मिलती है। यह दिन प्यार करने वालों के लिए बहुत महत्व रखता है। इस दिन कपल्स एक-दूसरे से अलग-अलग अंदाज में अपने प्यार का इजहार करते हैं। लेकिन लोंगो को वैंलेटाइन्स मनाने के पीछे का कार व कथा कम ही पता है कि आखिर 14 फरवरी को वैंलेटाइन्स डे के नाम से क्यों मनाया जाता है। तो आईए आपको बताएं इस के पीछे की एक पौराणिक कथा।
पौराणिक कथा
रोम में तीसरी सदी में राजा क्लैडियस का शासन था। एस समय प्लेग से एक दिन में 5000 लोगों की मौत हो गई। काफी संख्या में लोगों के मारे जाने के कारण रोमन सेना सैनिकों की कमी से जूझने लगी। राजा को और सैनिकों की जरूरत महसूस होने लगी। क्लैडियस का मानना था कि अविवाहित पुरूष अच्छे तरह से लड़ सकता है इसलिए उसने सेना में पंरपरागत विवाह पर रोक लगा दी। उस वक्त रोम में संत वैलेंटाइन पादरी थे या मध्य इटली के टेरनी में बिशप थे। वह रोमन राजा क्लैडियस के आदेश के खिलाफ थे। उन्होंने गुप्त रूप से सैनिकों का विवाह कराना शुरू कर दिया। इस बात की जानकारी जब राजा को हुई तो उसने उनकी मौत का फरमान सुना दिया।
संत वैलेंटाइन को गिरफ्तार कर लिया गया। जब उनको मौत दी जानी थी उससे पहले जेलर ऑस्टेरियस ने उनसे अपनी नेत्रहीन बेटी के लिए प्रार्थना करने को कहा। संत वैलेंटाइन के प्रार्थना करने से ऐसा चमत्कार हुआ कि उसकी बेटी की आंखों की रोशनी आ गई और वह देखने लगी। इससे प्रभावित होकर जेलर ने ईसाई धर्म अपना लिया। 14 फरवरी 269 में संत वैलेंटाइन को मौत के घाट उतार दिया गया। फिर 496 ई. में पोप ग्लेसियस ने 14 फरवरी को सेंट वैलेंटाइन्स डे घोषित कर दिया।
समाज के लोगों के बीच आपसी प्यार व सद्भाव की कामना से शुरू हुआ वैंलेनटाइन्स अब मुख्य रूप से प्रेमी जोड़ों के प्यार के त्यौहार के रूप में मनाया जाने लगा है। भारत में भी बीते दो दशकों से वैलेनटाइन्स डे मनाने का प्रचलन काफी बढ़ गया है। भारतीय युवा वैलेनटाइन्स डे को धूमधाम से मनाने लगे हैं। युवा जोड़े एक-दूसरे को वैलेनटाइन्स कार्ड से लेकर तरह-तरह के महंगे उपहार देने लगे।