मुख्य गेट की दिशा हो वास्तु अनुकूल तो हो जाते हैं वारे न्यारे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jul, 2017 03:42 PM

take care of main gate direction

भवन का निर्माण करवाते समय वास्तु का ध्यान जरूर रखना चाहिए ताकि वहां रहने वाले लोगों को किसी प्रकार की हानि न हो। वास्तु के अनुसार घर बनाना शुभ फलदायक होता है और घर

भवन का निर्माण करवाते समय वास्तु का ध्यान जरूर रखना चाहिए ताकि वहां रहने वाले लोगों को किसी प्रकार की हानि न हो। वास्तु के अनुसार घर बनाना शुभ फलदायक होता है और घर में खुशहाली आती है। घर के मुख्य द्वार की दिशा भी वास्तु के अनुसार होनी चाहिए जिसके लिए घर के मालिक की कुंडली के ग्रह भी देखे जाते हैं। कहने को तो दक्षिण दिशा का मुख्य गेट शुभफलदायक नहीं होता परंतु जन्मकुंडली के ग्रहों के अनुसार विशेष परिस्थितियों में दक्षिण दिशा भी किसी के लिए शुभता की प्रतीक हो सकती है। 


पूर्व में मुख्य गेट 
पूर्व दिशा का स्वामी इन्द्र है और प्रतिनिधि ग्रह सूर्य है जो काल पुरुष का मुंह है। पूर्व दिशा से सूर्य निकलता है तथा उसकी किरणों का घर के मुख्य द्वार पर पडऩा शुभता का प्रतीक है और पूर्व दिशा की ओर ही घर की बड़ी-बड़ी खिड़कियां रखना भी वास्तु के अनुसार सही है। जिस घर में सूर्य की स्वच्छ किरणें प्रात: सीधी आती हैं वहां दिन के समय भी रोशनी रहती हैं तथा सूर्य का प्रकाश शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है। इससे घर में रहने वाले लोगों के मन में हर समय कुछ न कुछ नया करने का उत्साह एवं स्फूर्ति बनी रहती है। ऐसे घरों में रहने वाले लोग आशावादी सोच रखते हैं तथा जीवन में कभी निराश नहीं होते। इसलिए घर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा की ओर रखें और बड़ा गेट लगाएं।


पूर्व दिशा में लगाया गया गेट अनेक असाध्य रोगों, तनाव एवं कलह क्लेश से भी छुटकारा दिलाने वाला होता है, परन्तु जन्म कुंडली के अनुसार यदि किसी के जन्म ग्रह में शनि तीसरे भाव में हो तो पूर्व दिशा का गेट मानसिक तनाव बढ़ा सकता है और मान-सम्मान में कमी का कारण भी बन सकता है। इसलिए भवन के गेट की दिशा निर्धारित करते समय जन्म कुंडली के ग्रहों पर भी जरूर विचार करें।


पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार 
पश्चिम दिशा का स्वामी वरुण है और इसका प्रतिनिधि ग्रह शनि है जिसका सम्बन्ध काल पुरुष के पेट के नीचे के अंगों के  साथ माना जाता है तथा इस दिशा का विशेष सीधा सम्बन्ध कारीगरी वर्ग से है। पश्चिम दिशा की ओर गेट रखना ठेकेदारों, इंजीनियरों, गाडिय़ों और फैक्टरियों आदि में तकनीकी कार्य करने वालों के लिए शुभ माना जाता है परंतु जन्मकुंडली में जिनका शनि नीच का अशुभ राशि में स्थित हो तो उनके लिए पश्चिम का मुख्य द्वार शुभ नहीं होता।


ऐसे घरों की दीवारों में दरारें पड़ जाती हैं जो शनि की अशुभता का प्रतीक हैं। ऐसे घरों मेें रहने वाले लोग अक्सर बीमार रहते हैं। इस दोष को मिटाने के लिए शनि को शांत करने के उपाय करने चाहिएं ताकि वास्तु दोष मिट सके।


उत्तर दिशा में गेट 
धन दौलत के लिए वास्तु शास्त्र में उत्तर दिशा को शुभ माना जाता है क्योंकि उत्तर दिशा बुध ग्रह और धन के देवता कुबेर से प्रभावित रहती है। उत्तर दिशा में यदि मुख्य द्वार रखना हो तो व्यवसाय को देखना पड़ता है।

 
जो लोग विद्वान हैं एवं किसी विशेष रिसर्च वर्क और लेखन कार्य से जुड़े हैं तथा किसी नीति निर्धारण से जिनका सीधा सम्बंध है अथवा किसी विशेष क्षेत्र के लेखन एवं निर्माण कार्य में जिन्हें वरीयता प्राप्त है, ऐसे लोगों को अपने घर का मुख्य गेट उत्तर दिशा में रखना चाहिए परंतु जिनकी जन्मकुण्डली में बुध ग्रह छठे भाव में होता है उनके लिए वास्तु के हिसाब से उत्तर दिशा में मुख्य गेट का होना शुभ नहीं माना जाता। इसलिए मुख्य गेट रखते समय जातक की जन्म कुंडली में भी ग्रहों की दशा पर भी विचार किया जाना चाहिए।


दक्षिण दिशा में मुख्य गेट 
वास्तु के अनुसार दक्षिण दिशा को शुभ नहीं माना जाता क्योंकि इस दिशा का स्वामी यम है तथा दक्षिण का संबंध काल पुरुष के बाएं अंगों के साथ है तथा दिशा का प्रतिनिधि ग्रह मंगल है। जो लोग अज्ञानतावश बिना सोच-विचार किए दक्षिण दिशा में मेन गेट रख लेते हैं, वहां रहने वाले लोगों को अनेक कष्टों और मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। निरंतर दुर्घटनाएं घटित होने के कारण परिवार का अधिक समय दुख, चिंताओं और परेशानियों में ही बीतता है। शुभ कार्य ऐसे घरों से कोसों दूर रहते हैं परंतु यदि घर में रहने वालों का मंगल उच्च राशि का हो तो दक्षिण दिशा का मुख्य गेट अति शुभफलदायक माना जाता है। ऐसे घर में धन-दौलत की कमी नहीं रहती क्योंकि लोग कर्मशील एवं उद्यमी होंगे तथा व्यापार बहुत अच्छी तरह से फले फूलेगा। वास्तु के अनुसार दक्षिण दिशा का गेट राजनीतिक वर्ग के लोगों के लिए बड़ा शुभफलदायक रहता है।

वीना जोशी
veenajoshi23@gmail.com 

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