देहरादून में है शिव मंदिर, जहां गुरु द्रोण को धर्नुविद्या का ज्ञान देने प्रतिदिन प्रकट होते थे भोलेन

Edited By ,Updated: 16 Apr, 2017 03:47 PM

tapkeshwar temple in dehradun

देहरादून सिटी बस स्टेंड से 5.5 कि.मी. की दूरी पर गढ़ी कैंट क्षेत्र में एक छोटी नदी के किनारे टपकेश्वर मंदिर स्थित है। यहां एक गुफा में

देहरादून सिटी बस स्टेंड से 5.5 कि.मी. की दूरी पर गढ़ी कैंट क्षेत्र में एक छोटी नदी के किनारे टपकेश्वर मंदिर स्थित है। यहां एक गुफा में शिवलिंग स्थित है। जिस पर एक चट्टान से पानी की बूंदे टपकती रहती हैं। इसी कारण इसका नाम टपकेश्वर मंदिर है।
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कहा जाता है कि महाभारत युद्ध से पूर्व गुरु द्रोणाचार्य अनेक स्थानों का भ्रमण करते हुए हिमालय पहुंचे। जहां उन्होंने एक ऋषिराज से पूछा कि उन्हें भगवान शंकर के दर्शन कहां होंगे। मुनि ने उन्हें गंगा और यमुना की जलधारा के बीच बहने वाली तमसा (देवधारा) नदी के पास गुफा में जाने का मार्ग बताते हुए कहा कि यहीं स्वयंभू शिवलिंग विराजमान हैं। जब द्रोणाचार्य यहां पहुंचे तो उन्होंने देखा कि शेर और हिरन आपसी बैर भूल एक ही घाट पर पानी पी रहे थे।
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उन्होंने घोर तपस्या कर शिव के दर्शन किए अौर उन्होंने शिव से धर्नुविद्या का ज्ञान मांगा। कहा जाता है कि भगवान शिव रोज प्रकट होते और द्रोण को धर्नुविद्या का पाठ पढ़ाते। द्रोण पुत्र अश्वत्थामा की जन्मस्थली भी यही है। उन्होंने भी यहां छह माह तक एक पैर पर खड़े होकर कठोर साधना की थी। एक और मान्यता है कि टपकेश्वर के स्वयं-भू शिवलिंग में द्वापर युग में दूध टपकता था, जो कलयुग में पानी में बदल गया। आज भी शिवलिंग के ऊपर निरंतर जल टपकता रहता है। यहां अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। कहा जाता है कि श्रद्धालू सच्चे मन से इस स्थान पर विधिवत पूजा कर भगवान शिव से प्रार्थना करता है तो उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।
 

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