मां सिमसा देती हैं सन्तानहीन को सन्तान प्राप्ति का आशीष

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Jan, 2018 05:55 PM

temple her holiness mata simsa blessing with child

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के लड-भड़ोल तहसील के सिमस नामक खूबसूरत स्थान पर स्थित माता सिमसा मंदिर दूर दूर तक प्रसिद्ध है। भारत-वर्ष में अनेकों मंदिर हैं और उनकी स्थापना की अपनी-अपनी गाथा है।

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के लड-भड़ोल तहसील के सिमस नामक खूबसूरत स्थान पर स्थित माता सिमसा मंदिर दूर दूर तक प्रसिद्ध है। भारत-वर्ष में अनेकों मंदिर हैं और उनकी स्थापना की अपनी-अपनी गाथा है। देवी सिमसा की स्थापना के पीछे ऐसी ही लोक मान्यता और विश्वास है जो इस मंदिर को एक अलग पहचान और महत्व दिलाता है।


माता सिमसा या देवी सिमसा को संतान-दात्री के नाम से भी जाना जाता है। हर वर्ष यहां सैंकड़ो नि:सन्तान दंपति सन्तान पाने की इच्छा ले कर माता सिमसा के दरबार में आते हैं। माता सिमसा मंदिर में नवरात्रों में होने वाले इस विशेष उत्सव को स्थानीय भाषा में “सलिन्दरा” कहा कहा जाता है। सलिन्दरा का अर्थ है स्वप्न अथवा सपने।


नवरात्रों में महिलाएं सोती हैं फर्श पर
नवरात्रों में नि:संतान महिलाएं माता सिमसा मंदिर परिसर में डेरा डालती हैं और दिन रात मंदिर के फर्श पर सोती हैं. विश्वास है कि जो महिलाएं माता सिमसा के प्रति मन में श्रद्धा लेकर से मंदिर में आती है माता सिमसा उन्हें स्वप्न में मानव रूप में या प्रतीक रूप में दर्शन देकर संतान का आशीर्वाद प्रदान करती है।

 

लिंग- निर्धारण का मिलता है संकेत
मान्यता के अनुसार, यदि कोई महिला स्वप्न में कोई कंद-मूल या फल प्राप्त करती है तो उस महिला को संतान का आशीर्वाद मिल जाता है। देवी सिमसा आने वाली संतान के लिंग-निर्धारण का भी संकेत देती है। जैसे कि, यदि किसी महिला को अमरुद का फल मिलता है तो समझ लें कि लड़का होगा। अगर किसी को स्वप्न में भिन्डी प्राप्त होती है तो समझें कि संतान के रूप में लड़की प्राप्त होगी. यदि किसी को धातु, लकड़ी या पत्थर की बनी कोई वस्तु प्राप्त हो तो समझा जाता है कि उसके संतान नहीं होगी।

 

स्वप्न के बाद छोड़ना पड़ता है बिस्तर
इस तरह के होने वाले स्वप्न के तुरंत बाद श्रद्धालु औरत मंदिर से अपना विश्राम या धरना समाप्त करके जा सकती है। माना जाता है कि नि:संतान बने रहने का प्रतीक-स्वरुप स्वप्न प्राप्त होने के बाद भी यदि कोई औरत दूसरा स्वप्न देखने का हठ करती है और अपना बिस्तर मंदिर परिसर से नहीं हटाती है तो उसके शरीर में खुजली भरे लाल-लाल दाग उभर आते हैं और उसे मजबूरन वहां से जाना पड़ता है। कई मामलों में तय अवधि कि समाप्ति तक महिला के स्वप्न में कुछ नहीं आता। इसका अर्थ संभवत: नकारात्मक ही होता है परंतु वे अगली बार प्रयास अवश्य कर सकती हैं।


आभार प्रकट करने आते हैं दम्पति
संतान प्राप्ति के बाद लोग अपना आभार प्रकट करने सगे-सम्बन्धियों और कुटुंब के साथ माता सिमसा मंदिर में आते हैं। यहां के आसपास और दूर पार के इलाकों में ऐसे कई दम्पति मिल जाते हैं जिन्हें माता के स्वप्न के बाद संतान की प्राप्ति हुई.

 

श्रद्धालुओं का है अटूट विश्वास
इसे “सामूहिक संयोंग” कहें या कुदरत का चमत्कार लेकिन यहां आने वाले श्रद्धालुओं के अटूट विश्वास को देख कर तो यही लगता है कि कुछ ऐसा है जो ज्ञान-विज्ञानं और मानवीय समझ से परे है।

 

दूर -दूर से आते हैं श्रद्धालु
माता सिमसा मंदिर पक्के सड़क संपर्क मार्ग से जुड़ा है। यहां वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। खासतौर पर नवरात्रों में यहां भीड़ अधिक रहती है तथा उत्सव का माहौल होता है। गर्मियों के मौसम में यहां 2 दिवसीय मेला लगता है जिसमे दूर-दूर से लोग मां के दरबार में हाजरी भरने आते हैं।

 

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