Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jan, 2018 04:30 PM
गोपालदास नाम का एक व्यक्ति एक गांव में रहता था। उसने एक आटा पीसने वाली चक्की लगा रखी थी। वह बहुत ईमानदार था, किसी प्रकार की हेराफेरी, बेईमानी उसे नहीं आती थी। इसी वजह से उसकी ईमानदारी के चर्चे पूरे गांव में थे।
गोपालदास नाम का एक व्यक्ति एक गांव में रहता था। उसने एक आटा पीसने वाली चक्की लगा रखी थी। वह बहुत ईमानदार था, किसी प्रकार की हेराफेरी, बेईमानी उसे नहीं आती थी। इसी वजह से उसकी ईमानदारी के चर्चे पूरे गांव में थे। इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण उस समय सामने आया जब उसके पास उसी गांव का एक व्यक्ति गेहूं से भरी बोरी आटा पीसने के लिए छोड़कर, यह कह कर चला गया कि मुझे बहुत जरूरी काम है, शाम को आते समय मैं उठा ले जाऊंगा।
इधर जब गोपालदास ने उस बोरी को खोला और चक्की में डालने लगा, तो उसने देखा कि उसमें सोने-चांदी के जेवरात पड़े हैं जो लाखों रुपए के हैं। उसने तुरंत चक्की को बंद कर दिया और सोने-चांदी के जेवरात गेहूं से निकालकर अलग रख दिए और आटा पीस कर अलग रख दिया। उस जमाने में तो क्या, कहीं-कहीं आज भी महिलाएं चोरों के डर से जेवरात संदूक या अलमारी में ताला मार कर रखने की बजाे, अनाज की बोरियों में छिपा देती हैं ताकि बचाव हो सके। लेकिन उस दिन जो बोरी गेहूं आया था, उसे पिसाने से पहले चैक करना भूल गए और चक्की पर पहुंचा दिया। शाम को जब वह व्यक्ति आया तो गोपालदास ने उसे वे जेवरात दिखाए और कहा कि ये आपकी गेहूं की बोरी से निकले हैं, सो आप इन्हें ले जाइए।
गोपालदास की इस ईमानदारी पर वह व्यक्ति बहुत खुश हुआ और कहने लगा कि आज तक मैंने सुना था कि गोपालदास एक नेक व ईमानदार व्यक्ति है, लेकिन आज प्रत्यक्ष देख भी लिया। उसे ढेर सारी दुआएं देता हुआ वह अपना आटा व जेवरात लेकर चला गया।
उपरोक्त हकीकत यह बयां करती है कि ईमानदार व्यक्ति स्वयं से तो संतुष्ट रहता ही है दूसरे भी उससे संतुष्ट रहते हैं, इसलिए ईमानदार व सच्चे दिल वाला व्यक्ति स्वयं को सदा हल्का व तनावमुक्त अनुभव करता है। जो व्यक्ति अपने सारे लेन-देन ईमानदारी से करता है, वह कभी भी भय का अनुभव नहीं कर सकता। इसलिए जो व्यक्ति ईमानदार है उसके साथ ईमानदार रहें, यदि कोई व्यक्ति ईमानदार नहीं भी है, तब भी उसके साथ ईमानदार रहें ताकि ईमानदारी हर जगह कायम रहे।
ईमानदारी का फल अच्छा मिलता है: ईमानदार होने का अर्थ है हजारों मनकों में अलग चमकने वाला हीरा। इसलिए ईमानदार और कुशल व्यक्ति महान कारण के लिए कार्य करते हैं, भले ही तुरंत उन्हें पहचान न मिले, लेकिन अंतत: फल अच्छा अवश्य मिलता है। यदि किसी व्यक्ति को ईमानदारी अच्छी लगती है, तो परमात्म प्रेम भी उसे सहज प्राप्त हो जाता है।