घमंड करने वाले को अपने अच्छे कामों का भी फल नहीं मिलता

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Feb, 2018 01:07 PM

the proud person does not get the reward of his good deeds too

प्राचीन समय की बात है कि चीन में एक बौद्ध-भिक्षु था। वह बौद्ध धर्म के ग्रथों को बहुत मन लगाकर पढ़ता और भगवान बौद्ध की समस्त शिक्षाओं को ध्यान से सुनकर उन्हें स्वयं के जीवन में उतारने की कोशिश करता। धर्म के प्रति उससी इस लगन को देखकर हर कोई उसकी जमकर...

प्राचीन समय की बात है कि चीन में एक बौद्ध-भिक्षु था। वह बौद्ध धर्म के ग्रथों को बहुत मन लगाकर पढ़ता और भगवान बौद्ध की समस्त शिक्षाओं को ध्यान से सुनकर उन्हें स्वयं के जीवन में उतारने की कोशिश करता था। धर्म के प्रति उसकी इस लगन को देखकर हर कोई उसकी जमकर तारीफ करता। 


एक दिन उसने किसी ग्रंथ में कुछ एेसी बात पढ़ ली जिसे वह बिल्कुल भी समझ न पाया। उसने उसे बार-बार पढ़ा लेकिन फिर भी उसका मतलब नहीं समझ पाया। आखिर में वह निराश होकर अपने गुरु के पास गया। उसने बढ़े अहंकार से गुरु से कहा कि आज तक उसने अपनी प्रतिभा से सारा ज्ञान अर्जित कर लिया। आज तक एेसा नहीं हुआ कि किसी बात का जवाब न मिले, लेकिन आज मुझे इस बात का जवाब नहीं मिल रहा। जब उसके गुरु ने यह सुना तो वह जोर-जोर से हंसने लगे और वे हंसते-हंसते अपने स्थान से उठ कर चले गए।


अपने गुरु की इस प्रतिक्रिया को देखकर भिक्षु बुरी तरह विचलित हो गया और अगले तीन दिन तक न तो वह ठीक से सो पाया, न कुछ सोच पाया और न ही अच्छे से कुछ खा-पी सका। तीन दिनों के बाद जब वह अपने गुरु के पास गया तो और अपनी दशा बताई। तो गुरु ने उससे पूछा तुम्हें मालूम हैं तुम्हारी समस्या क्या है। भिक्षु ने इंकार में सिर हिलाया। फिर उन्होंने भिक्षु से कहा कि इस समय तुम्हारी दशा सर्कस के जोकर से भी गई-गुजरी है। यह सनुकर भिक्षु की हैरानी का कोई जवाब न रहा। उसने गुरु से पूछा गुरुदेव आप मुझे एेसे कैसे कह सकते हैं। आप मुझे जोकर से गया-गुजरा क्यों बता रहे हैं।


तब गुरु ने स्पष्ट किया, जब लोग जोकर पर हंसते हैं तो वह उसका लुत्फ उठाता है। तुम इसलिए विचलित हो गए क्योंकि दूसरा व्यक्ति तुम पर हंसा। मुझे बताओं क्या तुम जोकर से भी खराब हालत में नहीं हो? जब भिक्षु ने यह सुना तो वह जोर-जोर से हंसने लगा और उसी समय उसे बुद्धत्व की प्राप्ति हो गई।


दरअसल, गुरु ने भांप लिया था कि गंभीर अध्ययन से उसका अहंकार बढ़ गया है। इस घमंड से मुक्त हुए बिना इसकी मुक्ति संभव नहीं। गुरु की इस कोशिश से अहंकार दूर होते ही भिक्षु की बरसों की साधना का फल साकार हो गया।

सीख- कोई कुछ भी कहे या हमारा मजाक बनाए हमें अपने रास्ते से नहीं भटकना चाहिए।

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