हनुमान जयंती: बेहद दिलचस्प व रहस्यमयी हैं पवनपुत्र जी से जुड़ीं ये 10 बातें

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Mar, 2018 12:13 PM

these 10 things related to hanuman ji are very interesting and mysterious

हनुमान जयंती एक हिंदू पर्व है। यह चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन को हनुमान जी के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है। पवनपुत्र जी को भगवान शिव का 11वां रूद्र रूप माना गया है। धार्मिक ग्रथों के अनुसार ये आज भी जीवित है और धरती पर भ्रमण...

हनुमान जयंती एक हिंदू पर्व है। यह चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन को हनुमान जी के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है। पवनपुत्र जी को भगवान शिव का 11वां रूद्र रूप माना गया है। धार्मिक ग्रथों के अनुसार ये आज भी जीवित है और धरती पर भ्रमण करते हैं। बजरंग बली के जीवन से एेसे बहुत से रहस्य व बातें हैं, जिनके बारे में हनुमान जी के भक्त नहीं जानते। तो आईए हनुमान जयंती के मौके पर आपको उनके जीवन की 10 रहस्यमयी बातें बताएं। 


मातंग ऋषि थे हनुमानजी के गुरु
हनुमानजी मातंग ऋषि के शिष्य थे। वैसे तो हनुमान जी ने कई लोगों से शिक्षा ली थी। सूर्यदेव व नारदजी के अलावा इन्होंने मातंग ऋषि से भी शिक्षा-दीक्षा ली थी। कुछ मान्यताओं के अनुसार मातंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमानजी का जन्म हुआ था। ऐसी मान्यता है श्रीलंका के जंगलों में मंतग ऋषि के वंशज आदिववासी से हनुमान जी प्रत्येक 41 साल बाद मिलने आते है।

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श्रीराम के साथ युद्ध
हनुमान जी ने अपने प्रभु राम के साथ युद्ध भी किया था। दरअसल एक बार भगवान श्री राम के गुरु विश्वामित्र किसी कारणवश हनुमान जी पर क्रोधित हो गए और उन्होंने श्री राम को हनुमान जी को मौत की सजा देने को कहा। श्री राम अपने गुरू की आज्ञा पालन करते हुए हनुमान जी पर प्रहार करने लगे, लेकिन सजा के दौरान हनुमान जी राम नाम जपते रहे। जिससे उनके ऊपर प्रहार किए गए सारे शस्त्र विफल हो गए।

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हनुमान जी के भाई थे भीम
हनुमानजी पवन पुत्र है। कुंती ने भी पवनदेव के माध्यम से ही भीम को जन्म दिया था। इस तरह से भीम हनुमान जी भाई हुए।

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मां दुर्गा के सेवक हैं हनुमानजी
राम भक्त हनुमान माता जगदम्बा के सेवक हैं। हनुमानजी माता के आगे-आगे चलते हैं और भैरवजी उनके पीछे-पीछे। माता के देश में जितने भी मंदिर है वहां उनके आसपास हनुमानजी और भैरवजी का मंदिर जरूर होते हैं।

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हनुमान स्तुति
हनुमान जी प्रार्थना में तुलसीदासजी ने हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान बहुक आदि अनेक स्तोत्र लिखे लेकिन क्या आप जानते हैं सबसे पहले हनुमानजी की स्तुति किसने की थी? दरअसल सबसे पहले विभीषण ने हनुमानजी की शरण लेकर उनकी स्तुति की थी। विभीषण को भी हनुमानजी की तरह चिरंजीवी होने का वरदान मिला है। वे भी आज सशरीर जीवित है। विभीषण ने हनुमानजी की स्तुति में एक बहुत ही अद्भुत और अचूक स्तोत्र की रचना की है।

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ब्रह्राास्त्र का प्रहार भी हनुमानजी पर था बेअसर
हनुमानजी के पास कई वरदानी शक्तियां थीं लेकिन फिर भी वे बगैर वरदानी शक्तियों के भी शक्तिशाली थे। अशोकवाटिका पर उन पर ब्रह्राास्त्र का प्रयोग बेअसर था।

 

हनुमानजी द्वारा लिखी गई पहली रामायण 
रामायणलंका कांड शुरू होते ही हनुमान जी ने हिमालय जाकर पत्थरों पर अपने नाखूनों से रामायण लिखनी शुरू कर दी थी। जब रामायण लिखने के बाद बाल्मीकि जी को ये बात हिमालय जाने पर पता चला तो वह हिमालय गए और वहां पर लिखी रामायण पढ़ी मिली।

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इस कारण हनुमान पड़ा नाम 
अपनी ठोड़ी के आकार के कारण से इनका नाम हनुमान पड़ा। संस्कृत में हनुमान का मतलब होता है बिगड़ी हुई ठोड़ी।


प्रमुख देव हैं हनुमानजी
हनुमानजी 4 कारणों से सभी देवताओं में श्रेष्ठ हैं। पहला कारण यह है कि सभी देवताओं के पास अपनी शक्तियां हैं। हनुमानजी के पास खुद की शक्ति है। वे खुद की शक्ति से संचालित हैं। दूसरा कारण, शक्तिशाली होने के बावजूद ईश्वर के प्रति समर्पित हैं। तीसरा कारण वे अपने भक्तों की सहायता तुरंत ही करते हैं और चौथा कारण वे आज भी सशरीर हैं।

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हनुमान जी का पुत्र
हनुमान जी को सभी ब्रह्मचारी के रूप में जानते हैं लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका मकरध्वज नाम का एक बेटा भी था।

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