Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Mar, 2018 01:47 PM
जाने-अनजाने में इंसान से घर के निर्माण के करवाते समय कुछ एेसी गलतियां हो जाती हैं, जिससे घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है। जिस कारण उसे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा कई बार घर में रखे साज-सजावट के सामान से भी कई प्रकार के...
जाने-अनजाने में इंसान से घर के निर्माण समय कुछ एेसी गलतियां हो जाती हैं, जिससे घर में वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है। जिस कारण उसे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा कई बार घर में रखे साज-सजावट के सामान से भी कई प्रकार के वास्तु दोष उत्पन्न हो जाते हैं। लेकिन यदि व्यक्ति वास्तु में बताए गए कुछ उपायों को अपनाए तो वो इन सबसे छुटकारा पा सकता है। इतना ही नहीं वास्तु दोषों के प्रभावों से मुक्ति पाने के विए कुछ मंत्रो का उच्चारण किया जाता है। तो आईए जानें किन मंत्रों के जाप से धन और सुख की प्राप्ति की जा सकती है।
उत्तर, दक्षिण, पूरब और पश्चिम ये चार मूल दिशाएं हैं। वास्तु विज्ञान में इन चार दिशाओं के अलावा 4 विदिशाएं हैं। आकाश और पाताल को भी इसमें दिशा स्वरूप शामिल किया गया है। इस प्रकार चार दिशा, चार विदिशा और आकाश, पाताल को जोड़कर इस विज्ञान में दिशाओं की संख्या कुल दस माना गया है। मूल दिशाओं के मध्य की दिशा ईशान, आग्नेय, नैऋत्य और वायव्य को विदिशा कहा गया है।
पूर्व दिशा
वास्तु शास्त्र में यह दिशा बहुत ही महत्वपूर्ण मानी गई है क्योंकि यह सूर्योदय होने की दिशा है। इस दिशा के स्वामी देवता इन्द्र हैं।
मंत्र- ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्य नमः या ॐ इंद्राय नमः का जाप करने से इस दिशा के वास्तु दोष का नाश होता है।
पश्चिम दिशा
इस दिशा के स्वामी शनिदेव हैं। यदि इस दिशा में वास्तु दोष हो तो ॐ शनि शनैश्चाय नमः का नियमित का जाप रपना चाहिए।
उत्तर दिशा
यदि वास्तु दोषों के कारण घर की उत्तर दिशा प्रभावित हो जाए तो इसका अधिकतर प्रभाव घर की महिलाओं पर पड़ता है। साथ ही उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तो यदि इस दिशा को वास्तु मुक्त करना हो तो निम्न मंत्रों का जाप करना चाहिए।
ॐ बुधाय नमः
ॐ कुबेराय नमः
दक्षिण दिशा
इस दिशा के स्वामी यम देव हैं। यह दिशा वास्तु शास्त्र में सुख और समृद्धि का प्रतीक होती है। इस दिशा को खाली नहीं रखना चाहिए।
इस दिशा से वास्तु दोष को दूर करने के लिए नियमित ॐ अं अंगारकाय नमः या ॐ यमाय नमः मंत्रों का उच्चारण करना लाभकारी माना जाता है।
आग्नेय दिशा
पूर्व और दक्षिण के मध्य की दिशा को आग्नेय दिशा कहते हैं। अग्निदेव इस दिशा के स्वामी हैं।
मंत्र-
ॐ शुं शुक्राय नमः या ॐ अग्नेय नमः
इन मंत्रों का जाप करने से इस दिशा के वास्तु दोषों से छुटकारा मिल सकता है।
नैऋत्य दिशा
दक्षिण और पश्चिम के मध्य की दिशा को नैऋत्य दिशा कहते हैं। इस दिशा का वास्तुदोष दुर्घटना, रोग एवं मानसिक अशांति देता है। इससे बचाव के लिए ॐ रां राहवे नमः का जाप करना चाहिए।
ईशान दिशा
ईशान दिशा के स्वामी भगवान शिव हैं। इस दिशा में कभी भी शौचालय नहीं बनाना चाहिए।
वायव्य दिशा
इस दिशा के स्वामी चंद्रदेव हैं। इस दिशा के वास्तु दोष का नाश करने के लिए ॐ चंद्रमसे नमः या ॐ वायवै नमः का जाप करना चाहिए।