Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Jun, 2017 08:37 AM
सनातन धर्म में पवित्र स्थानों को बहुत महत्व दिया जाता है। वहां पर प्रवेश से पूर्व पूर्ण रूप से स्वच्छता का ध्यान रखा जाना अवश्यक है। शास्त्रों में कुछ ऐसे स्थानों के
सनातन धर्म में पवित्र स्थानों को बहुत महत्व दिया जाता है। वहां पर प्रवेश से पूर्व पूर्ण रूप से स्वच्छता का ध्यान रखा जाना अवश्यक है। शास्त्रों में कुछ ऐसे स्थानों के बारे में बताया गया है जहां जूते-चप्प्ल पहनकर जाना निषिद्ध है। यदि उन स्थानों पर नंगे पांव न जाया जाए तो उस जगह का निरादार तो होता है साथ ही व्यक्ति अनजाने में पाप का भी भागी बनता है। घर में भी कुछ ऐसे स्थान हैं, वहां अगर जूते-चप्प्ल उतार कर न जाया जाए तो गरीबी उस घर से कभी बाहर नहीं जाती।
तिजोरी अथवा अपने धन रखने के स्थान पर जूते उतार कर जाना चाहिए क्योंकि धन को देवी लक्ष्मी के समान माना जाता है और उनके पास जूते पहनकर जाने का अर्थ है उनका अनादर करना। जहां लक्ष्मी का अनादर होगा वो उस स्थान को त्याग देती हैं।
पवित्र नदी को देवी स्वरूप माना गया है। उसमें जूते-चप्पल अथवा चमड़े से बनी चीजें पहनकर जाने से पाप लगता है।
रसोई में नंगे पैर ही प्रवेश करें। स्मरण रहे रसोई व्यवस्थित, शुद्ध और साफ-सुथरी होनी चाहिए। ऐसी रसोई में देवी-देवता अपना स्थाई वास बना लेते हैं जिससे घर में कभी भी धन और सुख-समृद्धि की कमी नहीं रहती।
भंडार घर में देवी अन्नपूर्णा का वास माना जाता है। उसका रख-रखाव भी रसोई की भांति ही करना चाहिए अन्यथा घर में कभी अन्न की बरकत नहीं होती।
श्मशान में जब किसी को अंतिम विदाई देनी हो तो वहां भी जूते पहन कर नहीं जाना चाहिए।
अस्पताल में किसी संबधी का हाल पूछने जाएं तो उसके कमरे में भी जूते-चप्पल पहनकर नहीं जाना चाहिए।
घर में देवी-देवताओं का स्थान होता है। वहां दैवीय शक्तियां निवास करती हैं। ऐसे में जूते-चप्पल पहनकर घर में घुमते हैं तो उनका अपमान होता है।