सफलता में आने वाली समस्त रूकावटों को मंगलमूर्त्ति करेंगे दूर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Nov, 2017 12:05 PM

these upay of ganpati will remove all obstacles in success

भगवान गणेश सर्वप्रथम पूजनीय और प्रार्थनीय हैं। इसलिए किसी भी शुभ कार्य का शुभारंभ श्रीगणेश के आह्वान से किया जाता है,

भगवान गणेश सर्वप्रथम पूजनीय और प्रार्थनीय हैं इसलिए किसी भी शुभ कार्य का शुभारंभ श्रीगणेश के आह्वान से किया जाता है, फिर चाहे वो कार्य बड़ा हो या छोटा। अगर कोई उनकी पूजा के बिना कोई शुभ कार्य आरंभ करता है तो उसमें किसी न किसाी प्रकार का विघ्न अवश्य आता है।


गणेशजी को बुद्धि के देवता माना जाता है। इसीलिए बच्चों को पहली बार विद्या अध्ययन के लिए स्कूल भेजते समय भी उनकी स्लेट पर सबसे पहले “श्री गणेशाय नम:” ही लिखा जाता है। 

गणेशजी के सिर पर हाथी का मस्तक बुद्धि का प्रतीक है। बुद्धि से हमें अच्छे विचार मिलते हैं। बुद्धि ही हमें भलाई और बुराई में फर्क बताती है। गणेशजी के शरीर में हाथी का सिर बुद्धि, कर्म और शक्ति का प्रतीक है। सिर से जुड़ी सूंड बताती है कि बुद्धि, कर्म और शक्ति में तालमेल होना चाहिए। इस सामंजस्य से ही हमें सफलता प्राप्त होती है। 

 

अगर आपको भी बुद्धि के बल पर सफलता पानी हो लेकिन सफलता की राह में रुकावट आ रही है तो उसे इन उपायों से दूर किया जा सकता है-


हर विघ्न दूर
काम में आ रहीं बाधाओं को दूर करने के लिए बुधवार के दिन गणेशजी को 4 नारियल की माला अर्पित करें। इसे करने से समस्त विघ्न दूर हो जाएंगे और प्रत्येक क्षेत्र में सफलता मिलने लगेगी।  

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प्रतियोगिता में सफलता 
कच्चे सूत में 7 गांठ लगाकर "जय गणेश काटो कलेश" कहते हुए गणेशजी को चढ़ाएं। उसके बाद इसको अपने पर्स में रखलें, ऐसा करने से परीक्षा या इंटरव्यू में सफलता मिलेगी। 


 

वाकपटुता
अगर आप बोलने में संकोच करते हैं, या वाणी संबंधी कोई दोष है, रुक-रुक कर बोलते हैं तो इसको दूर करने के लिए गणपति को केले की माला चढ़ाएं। एेसा करने से हर प्रकार का वाणी दोष समाप्त हो जाएगा।


यादाश्त तेज
स्मरण शक्ति बढ़ाने के गणपति अथर्वशीर्ष के अंतिम श्लोक का पाठ करें। 


महाविघ्नात्प्रमुच्यते।। महादोषात्प्रमुच्यते।। महापापात् प्रमुच्यते।
स सर्वविद्भवति स सर्वविद्भवति।। य एवं वेद इत्युपनिषद्॥


गणपति अथर्वशीर्ष संस्कृत में रचित एक लघु उपनिषद है। इस उपनिषद में गणेशजी  को परम ब्रह्म बताया गया है। यह अथर्ववेद का भाग है और अथर्वशीर्ष में दस ऋचाएं हैं।

 

लेखन क्षमता में वृद्धि
अगर आप परीक्षा के दौरान बहुत कुछ आने के बावजूद, उत्तर लिखते समय भूल जाते हैं तो फिर ॐ व्रात पतए  नम: ॐ वरद मूर्तए नम: मंत्र का जाप परीक्षा से पहले करें। ऐसा करने से आप परीक्षा देते समय, उत्तर बहुत अच्छी तरह से लिख पाएंगे। 

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सफलता पाने का उपाय
जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने हेतु सुबह उठकर अपने माता-पिता के चरण अवश्य स्पर्श करें। गणपति ऐसा करके ही प्रथम पूज्य कहलाए। 

 

क्रोध शांत
बात-बात पर गुस्सा आता है तो उसे दूर करने के लिए लंबोदर गणपति को लाल रंग का कोई भी फूल चढ़ाएं।
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