Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 May, 2017 07:56 AM
हमारी काफी ऊर्जा बोलने में नष्ट हो जाती है। इस ऊर्जा को बचाने के लिए प्रतिदिन कुछ समय मौन रहना चाहिए।
हमारी काफी ऊर्जा बोलने में नष्ट हो जाती है। इस ऊर्जा को बचाने के लिए प्रतिदिन कुछ समय मौन रहना चाहिए। वैदिक काल से ही ऋषि-मुनियों और विद्वानों द्वारा मौन रहने के लाभ बताए गए हैं। सुबह और शाम को कुछ समय मौन रहने से हमारा मानसिक तनाव तो कम होता है साथ ही स्वास्थ्य को भी लाभ प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार प्रात:काल और सायंकाल व्यक्ति को जितनी देर संभव हो सके मौन रहना चाहिए। दिन भर के कई जरूरी काम मौन रह कर भी किए जा सकते हैं। मन को शांति मिलती है जिससे ध्यान, पूजा, स्वाध्याय आदि से मानसिक शक्ति मिलती है। सुबह-सुबह मौन रहने से हमारा मन एकाग्र रहता है और प्रतिदिन के खास कार्यों को हम ठीक से कर पाते हैं।
इसके बाद शाम के समय मौन रहने से दिन भर के कार्य से जो मानसिक तनाव उत्पन्न होता है उससे मुक्ति मिलती है जिससे पारिवारिक जीवन पर बाहरी तनाव का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। इसी कारण से प्रतिदिन सुबह और शाम के समय कुछ समय मौन रहकर मन को एकाग्र करना चाहिए।
एक कुशल गृहिणी चूल्हा जलाने के बाद पहली रोटी गाय के लिए और आखिरी रोटी कुत्ते के लिए बचाकर रखती है। घर की सफाई के दौरान जब पोंछा लगाती है तो बाल्टी के पानी में नमक मिलाती है। शाम के समय मंदिर जाते हुए चींटियों के लिए थोड़ा आटा और चीनी लेकर निकलती है। देखने में ये दैनिक जीवन का हिस्सा दिखाई दे सकते हैं लेकिन अधिकांश महत्वपूर्ण ज्योतिषीय उपचार इन्हीं से जुड़े हुए हैं। रोजाना का यह मौन यज्ञ आपको कई तरह की बाधाओं से बचाकर रखता है। दिनचर्या से जुड़े ये नियम सामान्य नियम न होकर ज्योतिषीय उपचारों के नियम हैं।