Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Mar, 2018 12:26 PM
दक्षिण भारत के महाबलिपुरम शहर में कई पुरानी जगहें, जो ऐतिहासिक व आकर्षित करने वाली हैं। इसीलिए महाबलिपुरम के स्मारकों को यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों में शामिल किया गया है।
दक्षिण भारत के महाबलिपुरम शहर में कई पुरानी जगहें, जो ऐतिहासिक व आकर्षित करने वाली हैं। इसीलिए महाबलिपुरम के स्मारकों को यूनेस्को के विश्व विरासत स्थलों में शामिल किया गया है। तो आईए जानें महाबलिपुरम के एेसे ही अनोखे और रहस्यमयी पत्थर के बारे में जो लगभग 1200 साल पुराना व 250 टन है। सबसे हैरानी कि बात यह है कि यह पत्थर बिना किसी सहारे के खड़ा है।
पत्थर की खासियत
महाबलिपुरम का ये पत्थर करीब 20 फीट ऊंचा है और करीब 15 फीट इसकी चौड़ाई है। पत्थर एक ढलान पर करीब 4 फीट के आधार पर स्थिर टिका हुआ है। न यह हिलता है और न ही रुड़कता है। इस पत्थर का वजन करीब 250 टन है। इतना विशाल पत्थर होने के बाद भी ये पत्थर एक ढलान पर सैकड़ों वर्षों से खड़ा हुआ है। यहां आने वाले लोग पत्थर को देखकर हैरान हो जाते हैं।
मान्यता
मान्यता अनुसार महाभारत काल में श्रीकृष्ण ने बाल अवस्था में यहां थोड़ा सा माखन गिरा दिया था, ये वही माखन है जो अब पत्थर बन चुका है। इसी वजह से इसे श्रीकृष्ण के माखन की गेंद कहा जाता है।
रहस्यमयी है ये पत्थर
ये पत्थर किसी इंसान द्वारा खड़ा किया गया है या प्रकृति के द्वारा, इस सवाल का सटीक जवाब आज तक किसी के पास नहीं है। पत्थर का रहस्य अभी भी बना हुआ है।
महाबलिपुरम एेतिहासिक बातें-
7वीं शताब्दी में पल्लव वंश के शासनकाल में महाबलीपुरम में कई स्मारक बनाए गए थे। आज ये सभी स्मारक पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
महाबलिपुरम के स्मारकों को चार श्रेणियों में बांटा गया है। ये श्रेणियां हैं रथ मंडप, गुफा मंदिर, संरचनात्मक मंदिर और रॉक। स्मारकों के इस समूह को महाबलिपुरम के स्मारक कहा जाता है। यहां प्राचीन वास्तुकला देखी जा सकती है।
महाबलिपुरम कांचीपुरम जिले में बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर स्थित है। यह चेन्नई से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर है।