Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Jun, 2017 10:11 AM
जो लोग भगवान को सगुण रूप में पूजते हैं, वह उन्हें अपने घर में उसी तरह रखते हैं जैसे वह स्वयं रहते हैं। अधिकतर लोग
जो लोग भगवान को सगुण रूप में पूजते हैं, वह उन्हें अपने घर में उसी तरह रखते हैं जैसे वह स्वयं रहते हैं। अधिकतर लोग अपने घर में लड्डू गोपाल यानि बाल गोपाल को विराजित करते हैं। भगवान श्री कृष्ण का बाल स्वरूप बैठी मुद्रा में रखना शुभ होता है। श्रीराधाकृष्ण का युगल स्वरूप खड़ी मुद्रा में भी रखा जा सकता है। लड्डू गोपाल की प्राण प्रतिष्ठा करवाकर उन्हें घर के मंदिर में स्थापित करें। बाल कृष्ण की मक्खन खाती तस्वीर डाइनिंग रूम में लगाना शुभ होता है। संतान प्राप्ति के लिए लड्डू गोपाल का चित्र बेडरूम में ईस्ट या वेस्ट दिशा में लगाएं।
शास्त्रों में कहा गया है भगवान का स्वरूप घर में स्थापित करने से पहले ध्यान रखें की उनकी पीठ दिखाई न दे। स्वरूप को या तो कपड़े से ढक दें अथवा दीवार के साथ लगा दें। वैसे तो मंदिर में केवल एक ही भगवान का स्वरूप स्थापित होना चाहिए। एकनिष्ठ होकर की गई भक्ति ही उत्तम फल देती है। आमतौर पर घर में बहुत सारे देवी-देवताओं को स्थान दिया जाता है। वास्तु के अनसार एक भगवान के दो स्वरूप आस-पास या आमने-सामने रखने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
श्रीमद् भागवत गीता में भगवान श्री कृष्णचन्द्र ने अपने मुखारविन्द से कहा है, जो भक्त प्रेम से उन्हें फूल, फल, अन्न, जल आदि अर्पित करता है। उसे वह सगुण रूप में प्रकट होकर ग्रहण करते हैं। भक्त मानते हैं की बाल गोपाल को प्रेम से जो भी भोग अर्पित किया जाता है, उसे श्रीकृष्ण अवश्य ग्रहण करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, किसी भी भोज्य पदार्थ को ग्रहण करने से पूर्व भगवान को अर्पित करना चाहिए। फिर स्वयं ग्रहण करें। कोई भी ऐसी वस्तु न खाएं, जो भगवान को भोग न लगाई गई हो।
माखन-मिश्री का प्रतिदिन भोग लगाएं। संभव न हो तो बाजार से कोई भी दूध से बनी मिठाई अथवा सूखे मेवों का भोग लगा सकते हैं। कहते हैं जिस घर में भगवान को प्रतिदिन भोग लगाया जाता है वहां देवी अन्नपूर्णा और मां लक्ष्मी सदा विराजित रहती हैं। उस घर में बरकत और धन-संपन्नता में कभी कोई कमी नहीं आती।