Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jan, 2018 02:52 PM
शनिदेव को कर्मफलदाता का दर्जा दिया गया है। ऐसी मान्यता है कि अगर शनि देव रुष्ट हो जाएं तो राजा को रंक और रंक को राजा बना देते हैं। उन्हें खुश करने के लिए लोग हर तरह के प्रयत्न करते हैं। इनका दिन शनिवार है इसलिए इस रोज किया गया कार्य पूरी सावधानी के...
शनिदेव को कर्मफलदाता का दर्जा दिया गया है। ऐसी मान्यता है कि अगर शनि देव रुष्ट हो जाएं तो राजा को रंक और रंक को राजा बना देते हैं। उन्हें खुश करने के लिए लोग हर तरह के प्रयत्न करते हैं। इनका दिन शनिवार है इसलिए इस रोज किया गया कार्य पूरी सावधानी के साथ करना चाहिए क्योंकि शनिदेव जितने ज्यादा प्रसन्न होंगे उतना फलदायी परिणाम मिलेगा। तो आइए जानते हैं शनिदेव को प्रसन्न करने के कुछ विशेष उपाय-
अगर आप शनिदेव की पूजा करते हैं तो उस समय काले वस्त्र को धारण करना काफी शुभ माना जाता है।
सरसों के तेल में लोहे की कील डालकर पीपल की जड़ में तेल चढ़ाने से शनिदेव जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं। जब भी शनिवार के दिन तेल दान करें तो उसमें अपनी परछाई जरूर देखें। परछाई दिखने के बाद ही उसे दान करें।
इस दिन काले कुते और कौए को तेल की चुपड़ी रोटी और गुलाब जामुन खिलाना लाभकारी होता है।
शनिवार के दिन शनि देव का व्रत महिला अथवा पुरूष कोई भी कर सकता है। स्नान करने के पश्चात पीपल पेड़ या शमी के पेड़ के नीचे गोबर से लीप लें और वह बेदी बनाकर कलश और शनिदेव की मूर्ति स्थापित करें। शनिदेव की प्रतिमा को काले पुष्प, धुप, दीप, तेल से बने पदार्थों का प्रसाद चढाएं। पीपल के पेड़ को सूत का धागा लपेटते हुए सात बार परिक्रमा करें और साथ ही पेड़ की भी पूजा करें। इसके बाद हाथ में चावल और फूल ले कर भगवान शनिदेव की व्रत कथा सुने और पूजा पूरी होने के बाद प्रसाद सभी को बांटे। महीने के पहले शनिवार को उड़द का भात, दूसरे शनिवार को खीर, तीसरे शनिवार को खजला और अंतिम शनिवार को घी और पूरी से शनिदेव को भोग लगाएं। ज्योतिष और वास्तु विद्वान कहते हैं शनिदेव की प्रतिमा घर पर नहीं रखनी चाहिए।