Tuesday को घर में करें ये काम, संकट कटेंगे-पीड़ाएं नष्ट होंगी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Dec, 2017 02:31 PM

this work will be done in the home on tuesday

कलियुग के स्वामी हनुमान जी भगवान शिव के 11वें अंश हैं। बल, बुद्धि और विद्या के स्वामी को प्रसन्न करने का सबसे सरल तरीका है हनुमान जी की आरती। जो साधक सच्चे मन से हनुमान जी का ध्यान करते हुए घर में ऊंची आवाज में आरती का गुणगान करता है। उस व्यक्ति के...

कलियुग के स्वामी हनुमान जी भगवान शिव के 11वें अंश हैं। बल, बुद्धि और विद्या के स्वामी को प्रसन्न करने का सबसे सरल तरीका है हनुमान जी की आरती। जो साधक सच्चे मन से हनुमान जी का ध्यान करते हुए घर में ऊंची आवाज में आरती का गुणगान करता है। उस व्यक्ति के आस पास भी नकरात्मक शक्तियां नहीं फटकती। घर में सकारात्मक ऊर्जा एकत्रित करने के लिए सभी पारिवारिक सदस्यों को मिलकर आरती करनी चाहिए। आरती से पहले हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें। जो व्यक्ति अपने मन में हमेशा हनुमान जी की आरती अथवा चालीसा का जाप करता रहता है उस पर किसी भी तरह की बुरी शक्ति का प्रभाव नहीं पड़ता।  मंगल कामना और भावना से हनुमानजी के साथ जुडऩे से वे सभी तरह के संकटों से मुक्ति दिला देते हैं। 


मंगल ग्रह पर हनुमान जी शासन करते हैं। बल, बुद्धि और विद्या की प्राप्ति के लिए  प्रतिदिन हनुमान जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए। कुंडली में मंगल ग्रह से संबंधित किसी भी तरह के दोष से मुक्त होने के लिए हनुमान जी की आरती करना सबसे सरल एवं सुगम उपाय है। मंगलवार की रात 100 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से मन की हर चाह पूर्ण होती है। पितृदोष, राहुदोष, मंगलदोष आदि दूर होते हैं, वहीं भूत-प्रेतादि का बुरा साया भी हट जाता है।


श्री हनुमान लला की आरती

आरती कीजै हनुमानलला की, दुष्टदलन रघुनाथ कला की।

जाके बल से गिरिवर कांपे, रोग दोष जाके निकट न झांपै।

अंजनिपुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहाई।

दे बीरा रघुनाथ पठाये, लंका जारि सिया सुधि लाये।

लंका-सो कोट समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई।

लंका जारि असुर संहारे, सियारामजी के काज संवारे।

लक्ष्मण मूर्छित परे सकारे, आनि संजीवन प्रान उबारे।

पैठि पताल तोरि जम-कारे, अहिरावन की भुजा उखारे।

बाएं भुजा असुरदल मारे, दहिने भुजा सन्तजन तारे।

सुर नर मुनि आरती उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे।

कंचन थार कपूर लौ छाई, आरति करत अंजना माई।

जो हनुमानजी की आरति गावै, बसि बैकुण्ठ परम पद पावै।

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