कुंवारों के लिए घातक है ये दोष, देखें कहीं आपकी कुण्डली में तो नहीं है

Edited By ,Updated: 27 Feb, 2017 09:49 AM

this yog has too much bad effects

ज्योतिष के अनुसार नाड़ी तीन प्रकार की होती है। ये हैं आदि नाड़ी, मध्य नाड़ी और अनत्य नाड़ी। गुण मिलान की प्रक्रिया में जिन अष्ट कूटों का मिलान किया जाता है उनमें

ज्योतिष के अनुसार नाड़ी तीन प्रकार की होती है। ये हैं आदि नाड़ी, मध्य नाड़ी और अनत्य नाड़ी। गुण मिलान की प्रक्रिया में जिन अष्ट कूटों का मिलान किया जाता है उनमें नाड़ी महत्वपूर्ण है। जन्म कुंडली में चंद्रमा की नक्षत्र विशेष में उपस्थिति से जातक की नाड़ी का पता चलता है। नक्षत्र 27 होते हैं तथा इनमें से किन्हीं 9 विशेष नक्षत्रों में चंद्रमा के स्थित होने से कुंडली धारक की कोई एक नाड़ी होती है।


तीन नाडिय़ों में आने वाले नक्षत्र इस तरह हैं- 

ज्येष्ठा मूल, आद्रा, पुनर्वसु, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, शतभिषा, पूर्वा भाद्र व अश्विनी नक्षत्रों की गणना आदि या आद्य नाड़ी में की जाती है।


पुष्य, मृगशिरा, चित्र, अनुराधा, भरणी, घनिष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वा फाल्गुनी और उत्तरा भाद्र नक्षत्रों की गणना मध्य नाड़ी में की जाती है।


स्वाति, विशाखा,कृतिका, रोहिणी, अश्लेषा, मघा, उत्तराषाढ़ा, श्रावण तथा रेवती नक्षत्रों की गणना अन्त्य नाड़ी में की जाती है।


नाड़ी दोष होने पर आशंकाएं : जब वर और कन्या दोनों के नक्षत्र एक नाड़ी में हों तब यह दोष लगता है। सभी तरह के दोषों में नाड़ी दोष सबसे अशुभ माना जाता है क्योंकि इससे सर्वाधिक गुणांक यानी 8 अंक की हानि होती है। इस दोष के लगने पर शादी की बात आगे बढ़ाने की इजाजत नहीं दी जाती।


यदि वर-कन्या दोनों की नाड़ी ‘आदि’ हो तो उनका वैवाहिक संबंध अधिक दिनों तक कायम नहीं रहता। दोनों की एक ही नाड़ी होना इसकी वजह बनता है। कुंडली मिलने पर कन्या और वर दोनों की कुंडली में ‘मध्य नाड़ी’ होने पर विवाह होता है तो दोनों की मृत्यु हो सकती है। इसी क्रम में वर-वधू दोनों की कुंडली में ‘अन्त्य नाड़ी’ होने पर विवाह से दोनों का जीवन दुखमय होता है। इन स्थितियों से बचने के लिए ही समान नाडिय़ों में विवाह की आज्ञा नहीं दी जाती।


नाड़ी दोष होने पर यदि वर-कन्या के नक्षत्रों में नजदीकी होने पर विवाह के एक वर्ष के भीतर कन्या की मृत्यु हो सकती है या तीन वर्षों के अंदर पति की मृत्यु से स्त्री को वैधव्य की आशंका रहती है। नाड़ी मानव के शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। इस दोष के होने पर उनकी संतान मानसिक रूप से अविकसित एवं शारीरिक रूप से अस्वस्थ होती है।


इन स्थितियों में  दोष नहीं लगता : वर-वधू का जन्म नक्षत्र एक ही हो परन्तु दोनों के चरण पृथक हों।
वर-वधू की एक ही राशि हो तथा जन्म नक्षत्र भिन्न हों।
वर-वधू का जन्म नक्षत्र एक हो परन्तु राशियां भिन्न-भिन्न हों।


उपचार : स्वर्ण, गोदान, वस्त्र, अन्नदान, स्वर्ण की सर्पाकृति बना कर प्राण-प्रतिष्ठा व महामृत्युंजय जप कराने से नाड़ी दोष शांत होता है।


महत्वपूर्ण है नाड़ी मिलान : संभावित वर-वधू को केवल नाड़ी दोष के बन जाने के कारण ही आशा नहीं छोड़ देनी चाहिए तथा कुंडलियों का गुण मिलान के अलावा अन्य विधियों से पूर्णतया मिलान करवाना चाहिए क्योंकि इन कुंडलियों के आपस में मिल जाने से नाड़ी दोष अथवा गुण मिलान से बनने वाला ऐसा ही कोई अन्य दोष ऐसे विवाह को कोई विशेष हानि नहीं पहुंचा सकता। इसके पश्चात शुभ समाचार यह भी कि कुंडली मिलान में बनने वाले नाड़ी दोष का निवारण अधिकतर मामलों में ज्योतिष के उपायों से सफलतापूर्वक किया जा सकता है।  

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!