आज से लगभग एक हजार वर्ष पूर्व भारत के हिंदू कुछ इस तरह का जीवन जीते थे

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jun, 2017 03:01 PM

thousand of years ago hindus of india used to live a few kinds of life

यह लेख अल-बिरूनी की पुस्तक ‘भारत’ के आधार पर लिखा गया है। वह ईरानी मूल का मुसलमान था। उसका जन्म सन्

यह लेख अल-बिरूनी की पुस्तक ‘भारत’ के आधार पर लिखा गया है। वह ईरानी मूल का मुसलमान था। उसका जन्म सन् 973 में हुआ था। वह भारत में कई वर्ष तक रहा था। उसने उस समय के भारत के संबंध में इस पुस्तक में विस्तार से लिखा है।


मूर्तिपूजा- भारत में निम्र वर्ग के अशिक्षित लोगों जिनको अधिक समझ नहीं है, के लिए ही मूर्तियां स्थापित की जाती थीं। दर्शनशास्त्र और धर्मशास्त्र का अध्ययन करने वाले विद्वान लोग तो अमूर्त ईश्वर की ही उपासना करते हैं। ईश्वर को दर्शाने के लिए बनाई गई मूर्तियों की आराधना तो वे स्वप्र में भी नहीं कर सकते। 


वेद- ब्राह्मण वेद का पाठ बिना उसे समझे करते हैं। वैसा ही वे कंठस्थ भी कर लेते हैं और वही एक से सुनकर दूसरा याद कर लेता है। उनमें से थोड़े ही ऐसे हैं जो उसकी टीका भी पढ़ते हैं और वे तो गिने-चुने ही होंगे जिन्हें वेद की विषयवस्तु और उसके भाष्य पर ऐसा अधिकार हो कि वे उस पर कोई शास्त्रार्थ कर सकें। ब्राह्मण क्षत्रियों को वेद की शिक्षा देते हैं। क्षत्रिय उसका अध्ययन तो कर सकते हैं, लेकिन उन्हें उसकी शिक्षा देने का अधिकार नहीं। वैश्यों और शूद्रों को तो वेद को सुनने की भी मनाही है, उसके उच्चारण और पाठ की तो बात दूर है। यदि उनमें से किसी के बारे में यह साबित हो जाए कि उसने वेद-पाठ किया है तो ब्राह्मण उसे दंडनायक के सामने पेश कर देते और दंडस्वरूप उसकी जीभ कटवा दी जाती।


जातपात- क्षत्रिय प्रजा का शासन करता है और उसकी रक्षा करता है। वैश्य का काम खेती करना, पशुपालन है शूद्र ब्राह्मण के सेवक जैसा होता है जो उसके काम की देखभाल और उसकी सेवा करता है। प्रत्येक मनुष्य जो कोई ऐसा व्यवसाय करने लगता है जो उसकी जाति के लिए वर्जित है तो वह ऐसे पाप या अपराध का दोषी माना जाता है जिसे वे चोरी जैसा ही समझते हैं। जब मुस्लिम देशों से हिन्दू दास भागकर अपने देश और धर्म में वापस आते हैं तो उन्हें स्वीकार नहीं किया जाता। जो लोग हिंदू नहीं हैं और मनुष्यों का वध करते हैं, पशुओं की हत्या करते हैं और गोमांस खाते हैं मलेच्छ अर्थात अपवित्र कहे जाते हैं।


पुस्तक लिखना- हिंदुओं के यहां उनके दक्षिण प्रदेश में एक पतला-सा पेड़ खजूर और नारियल जैसा होता है जिसमें फल लगता है जो खाया जाता है। उसके पत्ते एक गज लंबे और तीन उंगल चौड़े होते हैं। वे उसे ताड़ कहते हैं और उन पर लिखते हैं। वे इन पत्तों को एकत्र करके इनको बांध कर पुस्तक बना लेते हैं और बीच में सुराख करके उसे डोरी से सी देते हैं। इस प्रकार की पुस्तक को पोथी कहते हैं। हिन्दू अपने ग्रंथों का प्रारंभ ‘ओ३म्’ शब्द से करते हैं। ‘ओ३म’ शब्द की आकृति ऐसी (ॐ) होती है।


सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण- हिंदू खगोल शास्त्रियों को यह बात भली प्रकार ज्ञात है कि पृथ्वी की छाया से चंद्रग्रहण और चंद्रमा की छाया से सूर्यग्रहण होता है लेकिन जनसाधारण हमेशा बड़े जोर-जोर से यह उद्घोष करते हैं कि राहू का सिर ग्रहण का कारण है। 


धन, कर तथा ब्याज- खेती, पशु, व्यापार आदि से हुई कमाई में से सबसे पहले राजा को कर देते हैं, कुछ अपने आम खर्चों के लिए अलग रख लेते हैं, कुछ धन विद्वानों और अतिथियों  की सेवा के लिए तथा शुभ कार्यों के लिए तथा कुछ भविष्य के लिए सुरक्षित रख लेते हैं। केवल ब्राह्मण सभी करों से मुक्त हैं। ब्याज लेने की अनुमति केवल शूद्र को है, औरों के लिए मनाही है।


खानपान- मूलत: हिंदुओं के लिए सभी प्रकार का वध वर्जित है और सभी प्रकार के अंडे तथा मदिरा की भी मनाही है। शूद्र के लिए मदिरा की अनुमति है। कुछ लोग भोजन के पश्चात पान खाते हैं। पान के पत्ते की गर्मी शरीर की उष्मा को बढ़ाती है, पान में लगा चूना हर नम या गीली वस्तु को सुखा देता है और सुपारी दांतों, मसूड़ों और पेट को मजबूत करती है।


गाय एक ऐसा पशु है जो मनुष्य के कई काम आता है-यात्रा के समय भार ढोना, जुताई-बुआई में काम आना, घर-गृहस्थी में दूध तथा उससे बनी वस्तुएं देना। इसके अलावा मनुष्य इसके गोबर का इस्तेमाल करता है। सर्दी के मौसम में उसकी सांस तक काम आती है।


फलित-ज्योतिष- हिंदू सात ग्रह मानते हैं। उनमें बृहस्पति, शुक्र और चन्द्रमा को सर्वथा शुभ मानते हैं। शनि, मंगल और सूर्य को सर्वथा अशुभ मानते हैं। ग्रहों में राहू को भी शामिल कर लिया है जो वास्तव में ग्रह नहीं है। वे जन्मपत्री, फलित-ज्योतिष आदि को मानते हैं।


विवाह- हिन्दुओं में बहुत ही छोटी आयु में विवाह हो जाता है इसलिए माता-पिता ही अपने पुत्र-पुत्रियों के विवाह की व्यवस्था करते हैं। विवाह के समय खुशियां मनाने के लिए गाजे-बाजे लाए जाते हैं। पति और पत्नी का विछोह मृत्यु होने पर ही हो सकता है क्योंकि उनके यहां विवाह-विच्छेद (तलाक) की कोई परंपरा नहीं है। लड़का-लड़की का एक ही गोत्र में विवाह नहीं होता। इनकी कम से कम पांच पीढ़ी में भी विवाह नहीं होता। 


विधवा- यदि किसी स्त्री का पति मर जाए तो वह दूसरे पुरुष से शादी नहीं कर सकती। 
उसे दो में से एक विकल्प प्राप्त है चाहे तो आजीवन विधवा रहे या सती हो जाए। सती होना श्रेयस्कर माना जाता है क्योंकि विधवा जब तक जीवित रहती है उसके साथ दुर्व्यवहार होता रहता है। जहां तक राजाओं की पत्नियों का संबंध है वे तो सती हो जाने की ही अभ्यस्त हैं, चाहे वे ऐसा चाहती हों या नहीं।


विविध- हिंदू पाजामा नहीं पहनते, उसके स्थान पर धोती पहनते हैं जो इतनी लंबी होती है कि उनके पैर तक ढंक जाते हैं। वे एक-दूसरे का जूठा नहीं खाते। जिन बर्तनों में वे खाते हैं यदि मिट्टी के हों तो खाने के बाद उन्हें फैंक देते हैं। पुरुष कानों में छल्ले, बांहों में कड़े, अनामिका और पैरों के अंगूठों में स्वर्ण मुद्रिकाएं पहनते हैं। वे अपनी कमर की दाहिनी ओर कुठार बांधते हैं। वे यज्ञोपवीत पहनते हैं जो बाएं कंधे से कमर की दाहिनी ओर तक जाता है।


सभी प्रकार के कार्य-कलाप और आपातकाल में वे स्त्रियों से सलाह लेते हैं। मृत व्यक्ति का ऋण उसके वारिस को चुकाना पड़ता है चाहे मृत व्यक्ति ने कोई संपत्ति छोड़ी हो या नहीं। मृत व्यक्ति के प्रति वारिस के लिए कई भोज भी कर्तव्य हैं। हिंदू अपने शवों का दाह संस्कार करते हैं परंतु तीन वर्ष से कम आयु के बच्चों के शव जलाए नहीं जाते।


हिंदुओं के त्यौहार- वर्ष भर में हिंदू वसंत, भाद्रपद तृतीया, भाद्रपद अष्टमी, दीवाली, फाल्गुण पूर्णिमा, शिवरात्रि आदि लगभग बीस त्यौहार मनाते हैं। अधिकतर त्यौहार स्त्रियां और बच्चे ही मनाते हैं।


भाद्रपद अष्टमी को हिंदू एक पर्व मानते हैं जो ‘ध्रुव ग्रह’ कहलाता है। वे स्नान करते हैं और पौष्टिक अन्न खाते हैं ताकि उनकी स्वस्थ संतान पैदा हो। कार्तिक अमावस्या के दिन दीवाली मनाई जाती है। इस दिन लोग स्नान करते हैं। बढिय़ा कपड़े पहनते हैं, एक-दूसरे को पान सुपारी भेंट करते हैं और एक-दूसरे के साथ दोपहर तक हर्षोल्लास के साथ खेलते हैं। रात्रि को वे हर स्थान पर अनेक दीप जलाते हैं ताकि वातावरण सर्वथा स्वच्छ हो जाए।  

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!