आज के गुडलक में जानें कैसे लक्ष्मीनारायण करेंगे आपके घर निवास

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Sep, 2017 06:51 AM

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रविवार दी॰ 10.09.17 आश्विन कृष्ण पंचमी पर पंचमी का श्राद्ध मनाया जाएगा। इस दिन उन मृतक पितृों का श्राद्ध किया जाता है, जो अविवाहित ही मृत्यु को प्राप्त हुए हैं। अतः इसे कुंवारा पंचमी कहा जाता है। अतः कुंवारे

रविवार दी॰ 10.09.17 आश्विन कृष्ण पंचमी पर पंचमी का श्राद्ध मनाया जाएगा। इस दिन उन मृतक पितृों का श्राद्ध किया जाता है, जो अविवाहित ही मृत्यु को प्राप्त हुए हैं। अतः इसे कुंवारा पंचमी कहा जाता है। अतः कुंवारे पितृ का श्राद्ध भाई, भतीजा, भांजा इत्यादि करने की शास्त्र आज्ञा देता है। शास्त्रनुसार पितृ के निमित्त सारी क्रियाएं दाएं कंधे में जनेऊ डाल कर व दक्षिणमुखी होकर की जाती हैं। शास्त्रनुसार श्राद्ध सदैव मध्यान्ह के बाद ही करना चाहिए अर्थात जब सूर्य की छाया पैरो पर पड़ने लगे। दोपहर 12 बजे से पूर्व किया गया श्राद्ध पितृ तक नही पहुंचता। ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार जो गृहस्थ पितृपक्ष में अपने पितृ को श्रद्धापूर्वक उनकी दिवंगत तिथि के दिन तर्पण, पिंडदान, तिलांजलि व ब्राह्मण भोज कराते हैं, उनको जीवन में सभी सांसारिक सुख प्राप्त होते हैं। मृत्यु उपरांत भी श्राद्धकर्ता को श्रेष्ठ लोक की प्राप्ति होती है। जो गृहस्थ पितृपक्ष में विधिवत पूजन कर ब्राह्मण भोज कराते हैं, उनके घर लक्ष्मी-नारायण निवास करते हैं और वो सदैव ही धन धान्य से परिपूर्ण रहते है। 

 

पंचमी श्राद्ध मुहूर्त: रविवार दी॰ 10.09.17, चंद्र मेष राशि व अश्विनी नक्षत्र में रहेगा। पंचमी तिथि रविवार दी॰ 10.09.17 को प्रातः 07:24 से शुरू होकर सोमवार दी॰ 11.09.17 को प्रातः 05:23 तक रहेगी। राहुकाल शाम 16:55 से शाम 18:28 बजे तक है। जिसमें श्राद्धकर्म वर्जित है। ऐसे में व्यवस्था है कि राहुकाल से पूर्व तर्पण व पिण्डदान करें। श्राद्ध हेतु श्रेष्ठ तीन मुहूर्त हैं, कुतुप दिन 11:53 से दिन 12:42 तक, रौहिण दिन 12:42 से दिन 13:31 तक, अपराह्न दिन 13:31 से शाम 16:00 तक।

 

पंचमी श्राद्ध विधि: पंचमी श्राद्धकर्म में पांच ब्राहमणों को भोजन कराने का मत है। श्राद्ध में गंगाजल, कच्चा दूध, तिल, जौ व शहद मिश्रित जल की जलांजलि दें। तदुपरांत पितृगणों का विधिवत पूजन करें। इस दिन पितृगण के निमित, गौघृत का दीपक करें, चंदन की अगरबत्ती जलाएं, शहद लाल फूल, लाल चंदन और अशोक का पत्ता समर्पित करें। चावल या जौ के आटे के पिण्ड आदि समर्पित करें। फिर उनके नाम का नैवेद्य रखें। कुशा के आसन में बैठाकर पितृ के निमित भगवान विष्णु के पाञ्चजन्य स्वरूप का ध्यान करते हुए गीता के पांचवे अध्याय का पाठ करें व उनके निमित इस विशेष पितृ मंत्र का यथा संभव जाप करें। इसके उपरांत ब्राह्मणों को राजमा, चावल, सूजी का हलवा, पूड़ी-सब्ज़ी, खजूर की खीर, ईलायची व मिश्री अर्पित करें। भोजन के बाद सभी को यथाशक्ति वस्त्र, धन-दक्षिणा देकर उनको विदा करने से पूर्व आशीर्वाद लें। 

 

विशेष पितृ मंत्र: ॐ पाञ्चजन्यधराय नमः॥

 

मुहूर्त विशेष
अभिजीत मुहूर्त:
दिन 11:53 से 12:42 तक। 


अमृत काल: अगले दिन सूर्योदय पूर्व प्रातः 04:48 से प्रातः 06:18 तक।


यात्रा मुहूर्त: दिशाशूल - पश्चिम। राहुकाल वास - उत्तर। अतः आज पश्चिम व उत्तर दिशा की यात्रा टालें।

 

आज का गुडलक ज्ञान
गुडलक कलर:
नारंगी।


गुडलक दिशा: पूर्व।


गुडलक टाइम: रात 21:44 से रात 23:40 तक।


गुडलक मंत्र: ॐ मोहिनीरूपधारिणे नमः॥


गुडलक टिप: भग्यौदय के लिए विष्णु मंदिर में खजूर चढ़ाएं।


गुडलक फॉर बर्थडे: सफलता के लिए दूध में शहद मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।


गुडलक फॉर एनिवर्सरी: दंपति द्वारा घर की दक्षिण दिशा में लाल तेल का दीप जलाने से प्रेम बढ़ेगा।

 

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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