Rishi Panchami: इस विधि से भर लें धन-धान्य से अपना संसार

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Sep, 2023 07:25 AM

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आज 20 सितंबर को शुक्ल पंचमी का दिन है। इस रोज ऋषि पंचमी का पर्व मनाए जाने का विधान है। ऋषि पंचमी का पर्व हरतालिका तीज के 2 दिन उपरांत और गणेश चतुर्थी से 1 दिन बाद आता है। शास्त्र ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार

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Rishi Panchami 2023: आज 20 सितंबर को शुक्ल पंचमी का दिन है। इस रोज ऋषि पंचमी का पर्व मनाए जाने का विधान है। ऋषि पंचमी का पर्व हरतालिका तीज के 2 दिन उपरांत और गणेश चतुर्थी से 1 दिन बाद आता है। शास्त्र ब्रह्माण्ड पुराण के अनुसार इस दिन सप्त ऋषियों संग देवी अरुंधती के व्रत, पूजन व स्थापना का विधान है। सप्त ऋषियों व अरुंधती के पूजन से धन-धान्य, समृद्धि, संतान प्राप्ति तथा सुख-शांति की प्राप्ति होती है। संसार का कोई ऐसा सुख नहीं है, जो इस पूजन से प्राप्त नहीं होगा। ऋषि पंचमी का पर्व रक्षा सूत्र बांधने अर्थात राखी के रूप में भी मनाया जाता है। ऋषि पंचमी का व्रत-पूजन कुंवारी कन्याओं हेतु अत्यंत फलकारी है। इस दिन जमीन से उगने वाले अन्न ग्रहण नहीं किए जाते हैं। विष्णु पुराण के अनुसार इस मन्वंतर के सप्तऋषि हैं: कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि व वशिष्ठ।

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इस रोज़ सरोवर या नदी में स्नान करने का बहुत महत्व है। महिलाएं खासतौर पर इस दिन गंगा स्नान के लिए जाती हैं। कहा जाता है की रजस्वला होने पर जो दुख-दर्द व अन्य दोष होते हैं, उनसे छुटाकारा प्राप्त करने हेतु महिलाएं ऋषि पंचमी का व्रत करती हैं।  

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ऋषि पंचमी पूजा मुहूर्त

इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 19 सितंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर 43 मिनट पर शुरू हो चुकी है और 20 सितंबर 2023 को दोपहर 02 बजकर 16 मिनट पर इसका समापन होगा। सप्त ऋषियों की पूजा करने का समय बुधवार को सुबह  11 बजकर 01 मिनट पर दोपहर 01 बजकर 28 मिनट तक है। पूजा करने की अवधि 2 घंटे 27 मिनट तक है।

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विशेष पूजन
उत्तरमुखी होकर भोजपत्र पर सिंदूर से सप्त ऋषियों व अरुंधती का नाम लिखें। इसके बाद इनकी पंचोपचार पूजा धूप, दीप, पुष्प, गंध, नैवेद्यादि से करें। इस विशिष्ट मंत्र का यथासंभव जाप करके प्रसाद गरीबों में बांट दें। 

विशेष मंत्र: कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोथ गौतमः। जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषयः स्मृताः। दहन्तु पापं सर्व गृह्नन्त्वर्ध्यं नमो नमः॥

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शुभ-लाभ के लिए इस मंत्र का जाप करें: ॐ भूर्भुव स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्॥


 

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