वास्तुशास्त्र: चलने लगेगी दुकान, होगी पैसों की बरसात

Edited By ,Updated: 24 Nov, 2016 02:50 PM

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औद्योगिक भूखंड-वास्तुशास्त्र एक ऐसी विद्या है जिसमें प्रकृति की सभी शक्तियों को एक साथ समायोजित करके उनका भरपूर दोहन करने की प्रणाली विकसित की गई है। किसी औद्योगिक भूखंड को

औद्योगिक भूखंड-वास्तुशास्त्र एक ऐसी विद्या है जिसमें प्रकृति की सभी शक्तियों को एक साथ समायोजित करके उनका भरपूर दोहन करने की प्रणाली विकसित की गई है। किसी औद्योगिक भूखंड को खरीदते समय सबसे पहले निम्र देख लें। ये बातें ध्यान में रखेंगे तो चलने लगेगी दुकान, होगी पैसों की बरसात।


* भूमि आयताकार या वर्गाकार है तो उत्तम है।

* भूखंड पंचकोणीय, षटकोणीय या कटा-फटा या बेलनाकार या मृंदगाकार नहीं होना चाहिए।

* प्लॉट में हड्डी, दीमक, काष्ठ, मेंढक, भस्म, अंडे इत्यादि पदार्थ मिलें तो यह अशुभ होता है।

* भूखंड की भूमि कटी-फटी या दरार युक्त न हो, बल्कि उर्वर हो।

* भूखंड के बीच में गड्ढा व दक्षिण पश्चिम में ढलान न हो।


मुख्य वास्तु दोष व परिणाम-किसी भी भूखंड को यथासंभव चौकोर लेना प्रशस्त होता है। केवल ईशान कोण में बढ़ौतरी शुभ परिणामदायक है। अग्रि  कोण में बढ़ा हुआ कोना अलाभकारी होता है। नैऋत्य कोण में बढ़ौतरी दुर्घटना, धन-हानि की संभावना का संकेत है। वायव्य कोण में बढ़ौतरी मानसिक समस्याएं, शत्रुता, राज-भय व भयानक अशांति देता है।


अग्रि कोण में पूर्व की तरफ कटौती हो तो धन या मानहानि का कारण बनता है। यदि नैऋत्य कोण में कटौती (रिडक्शन) हो तो मानसिक अशांति का कारण बनती है। वायव्य कोण में उत्तर की ओर की कटौती प्रशस्त होती है परन्तु पश्चिमी दीवार में कटौती हो तो अशुभ परिणाम देती है।

 

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