Edited By ,Updated: 11 Apr, 2017 09:44 AM
घर का फर्नीचर उसकी सुंदरता में चार चांद लगा देता है। आजकल अलग-अलग डिजाइन के फर्नीचर से घर को नई लुक दे सकते हैं, लेकिन कई बार महंगा अौर डिजाइनर फर्नीचर
घर का फर्नीचर उसकी सुंदरता में चार चांद लगा देता है। आजकल अलग-अलग डिजाइन के फर्नीचर से घर को नई लुक दे सकते हैं, लेकिन कई बार महंगा अौर डिजाइनर फर्नीचर घर में वास्तुदोष का कारण बन सकता है। इसके साथ ही व्यक्ति को आर्थिक नुक्सान भी झेलना पड़ता है। जब भी फर्नीचर बनवाए या खरीदें तो वास्तु के कुछ नियमों को ध्यान में रखकर वास्तुदोष से बचा जा सकता है।
किसी शुभ दिन पर ही फर्नीचर खरीदें। कभी भी मंगलवार, शनिवार अौर अमावस्या के दिन फर्नीचर न खरीदें।
शीशम, चंदन, अशोका, सागवान, साल, अर्जुन या नीम लकड़ी का बना हुआ फर्नीचर खरीदें। ये शुभ फल देने वाले होते हैं।
हल्का फर्नीचर सदैव उत्तर या पूर्व दिशा में रखें। इसके विपरीत भारी फर्नीचर दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें। इन बातों का ध्यान न रखने पर आर्थिक नुक्सान झेलना पड़ता है।
घर में लकड़ी का कार्य सदैव साउथ या वेस्ट दिशा से शुरु करके नॉर्थ-ईस्ट में खत्म करें।ऐसा करना घर के सदस्यों के लिए अच्छा होता है।
जब भी फर्नीचर के लिए लकड़ी खरीदें तो उसे नॉर्थ, ईस्ट या नॉर्थ-ईस्ट दिशा में न रखें। इससे घर-दुकान में धन नहीं टिकता।
फर्नीचर में राधा-कृष्ण, फूल, सूरज, शेर, चीता, मोर, घोड़ा, बैल, गाय, हाथी अौर मछली की आकृति बनवा सकते हैं। इसके अतिरिक्त फर्नीचर में डार्क की जगह हल्के रंग की पॉलिश करवा सकते हैँ।
फर्नीचर के किनारे नुकीले न होकर गोलाकार होने चाहिए। नुकीले किनारे खतरनाक होते हैं अौर ये नकारात्मक ऊर्जा भी छोड़ते हैं।
कार्यस्थल या अॉफिस के लिए स्टील के फर्नीचर का प्रयोग करना चाहिए। इस प्रकार के फर्नीचर के प्रयोग से अॉफिस में सकारात्मकता बनी रहती है अौर धन में भी वृद्धि होती है।
ज्यादा किनारों वाला फर्नीचर भी शुभ नहीं माना जाता। प्रयास करें कि घर में कम कॉर्नर वाला फर्नीचर रखा जाए।