स्वर्ग के संविधान अनुसार करना पड़ता है छोटा-सा पाप, मिलेगा पुण्य का पुरस्कार

Edited By ,Updated: 02 Feb, 2017 11:29 AM

virtue will be rewarded

जीवन में कभी पाप न करने वाला एक फकीर था। मृत्यु के बाद वह सीना तान कर ऊपर गया कि मैं तो सीधे स्वर्ग में प्रवेश कर जाऊंगा। पूरी

जीवन में कभी पाप न करने वाला एक फकीर था। मृत्यु के बाद वह सीना तान कर ऊपर गया कि मैं तो सीधे स्वर्ग में प्रवेश कर जाऊंगा। पूरी जिंदगी वह संभल कर चला था। जब वह स्वर्ग के दरवाजे पर पहुंचा तो दरवाजा बंद था। बाहर दूत खड़ा था। उसने फकीर का रिकार्ड देखकर कहा भाई, ‘‘यह पहला आदमी मेरी जिंदगी में ऐसा आया है जिसने धरती पर रह कर कोई पाप नहीं किया।’’ 


अब द्वारपाल बड़े संकट में पड़ गया कि उसके साथ क्या सलूक किया जाए? उसने कहा, ‘‘मेरे दोस्त मैं बहुत परेशान हूं। हमारे स्वर्ग के संविधान के अनुसार जिसने बहुत पाप किए हों, उसे तो नरक भेज देते हैं लेकिन जिसने पाप करके पापों का प्रायश्चित कर लिया हो, उसे स्वर्ग भेजा जाता है। आप तो इसमें कहीं भी फिट नहीं हो रहे हैं तो मैं आपको न स्वर्ग भेज सकता हूं न नरक भेज सकता हूं।’’ 


यह सुन कर फकीर बहुत परेशान-हैरान हुआ। उसकी दुर्दशा देख द्वारपाल ने कहा,  ‘‘देखिए मैं आपको 12 घंटे का समय देता हूं। आपको वापस पृथ्वी पर भेजता हूं। आप जाएं और छोटा-सा पाप कर लें, उसका प्रायश्चित करके वापस आ जाएं। मैं आपको स्वर्ग भेज दूंगा ताकि हमारे संविधान की व्यवस्था में आप फिट हो जाएं।’’ 


वह फकीर धरती पर वापस आया और सोचने लगा कि कौन-सा पाप करूं? कुछ समझ नहीं पा रहा था। वह किसी गांव में गया। उसने देखा गांव के बाहर ही एक मकान के बाहर काली-कलूटी, बदसूरत-सी एक औरत खड़ी थी। उस फकीर के गठीले शरीर को देखकर उसके अंदर इच्छा पैदा हुई कि यह व्यक्ति अगर मेरी ओर आकर्षित हो जाए और मुझे प्रेम करे तो कितना अच्छा होगा। उस औरत को देखकर फकीर ने सोचा कि इस बदसूरत औरत के साथ अगर प्रेमानुभव हो जाता है तो थोड़ा-सा पाप हो जाएगा। फिर मैं उसका प्रायश्चित कर लूंगा। वह फकीर महिला के पास गया। उसका आमंत्रण स्वीकार किया। जब प्रात: काल फकीर उससे विदा लेने लगा तो उसने सोचा कि मैंने एक पाप कर्म कर लिया है। अब मैं हाथ जोड़कर प्रायश्चित कर लूंगा और स्वर्ग का भागीदार बन जाऊंगा। जब फकीर ने ऐसा ही किया तो उस औरत ने कहा कि, ‘‘मेरी जिंदगी में आप पहले आदमी हैं जिसने मुझे पूरे प्राणों से प्रेम किया है। आपने जो पुण्य मेरे प्रति किया है, परमात्मा उस पुण्य का पुरस्कार आपको जरूर देगा।’’


शिक्षा : मनुष्य चाहे जो कुछ भी कर ले लेकिन उसके हाथ कुछ नहीं है। ईश्वर जैसा चाहेगा वैसा ही होगा। 

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