Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Aug, 2017 11:24 AM
एक दिन नारद जी ने भगवान से पूछा, माया क्या है? भगवान मुस्कुरा दिए और बोले, किसी दिन प्रत्यक्ष दिखा देंगे। अवसर मिलने पर भगवान नारद को
एक दिन नारद जी ने भगवान से पूछा, माया क्या है? भगवान मुस्कुरा दिए और बोले, किसी दिन प्रत्यक्ष दिखा देंगे। अवसर मिलने पर भगवान नारद को साथ लेकर मृत्युलोक को चल दिए। रास्ते में भगवान ने कहा, ‘नारद! बहुत जोर की प्यास लगी है। कहीं से थोड़ा पानी लाओ।’
पानी लाने नारद बहुत आगे चले गए तो थकावट से उन्हें नींद आ गई। वह एक खजूर के झुरमुट में सो गए। सोते ही नारद ने एक मीठा सपना देखा। वह किसी वनवासी के दरवाजे पर पहुंचे हैं। द्वार खटखटाया तो एक सुन्दर युवती निकली।
नारद ने अपना परिचय दिया और कन्या से विवाह का आग्रह किया। कन्या सहमत हो गई और नारद सुन्दर पत्नी के साथ बड़े आनंदपूर्वक दिन बिताने लगे। कुछ ही दिनों में उनका पुत्र भी हो गया। एक दिन भयंकर वर्षा हुई और बाढ़ आ गई। नारद अपने उस परिवार को लेकर बचने के लिए भागे। बच्चे को उन्होंने पीठ पर लाद लिया था लेकिन फिर भी उसे बचा नहीं सके। वह भयंकर बाढ़ में बह गया। पत्नी भी उसी बाढ़ में बह गई। नारद किनारे पर निकल तो आए पर पूरा परिवार गंवा देने के अहसास पर खुद को रोक नहीं सके। वह फूट-फूट कर रोने लगे। सोने और सपने में एक घंटा बीत चुका था। उनके मुख से रूदन की आवाज अब भी निकल रही थी और वह झुरमुट में औंधे मुंह ही उनींदे पड़े हुए थे। भगवान सब समझ रहे थे। वह नारद को ढूंढते हुए खजूर के झुरमुट के पास पहुंचे और उन्हें जगाया। नारद हड़बड़ा कर बैठ गए। भगवान ने उनके आंसू पोंछे और रूदन रुकवाया।
भगवान ने पूछा, ‘हमारे लिए पानी लाने गए थे सो क्या हुआ?’
नारद ने सपने में परिवार बसने और बाढ़ में बहने के दृश्य की चर्चा की और समय चले जाने के कारण क्षमा मांगी। भगवान ने कहा, ‘देखा नारद! यही माया है, ऐसा असत्य जो सत्य लगता हो वही माया है।’