जीवन में आए ऐसा वक्त तो सहजता से करें स्वीकार

Edited By ,Updated: 26 Feb, 2017 01:19 PM

when that time came to life easily accept

हकीम लुकमान बचपन में गुलाम थे। वह अपने मालिक के घर रहकर काम करते थे। एक दिन मालिक ने खाने के लिए एक ककड़ी खरीदी। ककड़ी कड़वी थी तो मुंह में

हकीम लुकमान बचपन में गुलाम थे। वह अपने मालिक के घर रहकर काम करते थे। एक दिन मालिक ने खाने के लिए एक ककड़ी खरीदी। ककड़ी कड़वी थी तो मुंह में जाते ही मालिक का मुंह कड़वा हो गया उसने मजाक में वह ककड़ी लुकमान की ओर बढ़ाते हुए कहा कि ले तूं यह ककड़ी खा ले। लुकमान ने ककड़ी मुंह में डाली तो उसे भी वह कड़वी लगी लेकिन उसने बिना कुछ कहे ककड़ी खा ली। मालिक को आश्चर्य हुआ कि उसने लुकमान के मुंह को देखने के लिए मजाक में ककड़ी दी थी पर उसने बड़ी आसानी से कैसे खा ली? 

 

मालिक ने पूछा, ‘लुकमान, तूने इतनी कड़वी ककड़ी कैसे खाई?’ 

 

लुकमान ने जवाब दिया, ‘मैं आपके आश्रय में रहता हूं। आप रोज मुझे खाने को स्वादिष्ट चीजें और सुविधाएं देते हैं। मैं उन वस्तुओं का उपभोग कर आनंदित होता हूं। मैंने सोचा, यदि मालिक की इच्छा है, मैं एक दिन ऐसी ककड़ी खाऊं तो क्यों न प्रसन्नता से ही खाऊं। बस यही सोचकर मैंने आपकी दी हुई ककड़ी खा ली।’

 

लुकमान का मालिक धार्मिक और समझदार व्यक्ति था। उस पर लुकमान की बात का असर हुआ। वह बोला, ‘लुकमान आज तुमने मुझे उपदेश दिया है कि जो परमात्मा हमें जीवन में अनेक सुख देता है, उसकी मर्जी से यदि हमें कोई दुख भुगतना पड़े तो उसे प्रसन्नता से ही स्वीकार करना चाहिए। जीवन में अनुभवों को अहोभाव से स्वीकर करना एक अत्यंत महत्वपूर्ण गुण है। इसकी ही बदौलत अनुभवों में छिपे संदेश को ग्रहण करने में सक्षम हुआ जा सकता है। यह हमें परिपक्व बनाता है तथा समत्वभाव को जागृत करने में भी सहायक होता है। यह समत्वदृष्टि ही मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि एवं मुक्ति का साधन है।’ उसने लुकमान को धन्यवाद देते हुए उसे गुलामी से मुक्त कर दिया। 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!