जहां जाकर इंसान हो जाता है बेबस, वहां से शुरू होती है प्रभु की परम कृपा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Feb, 2018 12:34 PM

where there is a man helpless there begins the supreme grace of the lord

एक शख्स गाड़ी से उतरा और बड़ी तेजी से एयरपोर्ट की तरफ भागा, जहाज उड़ने के लिए तैयार था, उसे किसी कांफ्रेंस मे पहुंचना था जो खास उसी के लिए आयोजित की गई थी। वह जल्दी ही जाकर जहाज में जाकर बैठ गया और जहाज उड़ गया।

एक शख्स गाड़ी से उतरा और बड़ी तेजी से एयरपोर्ट की तरफ भागा, जहाज उड़ने के लिए तैयार था, उसे किसी कांफ्रेंस मे पहुंचना था जो खास उसी के लिए आयोजित की गई थी। वह जल्दी ही जाकर जहाज में जाकर बैठ गया और जहाज उड़ गया। जहाज को उड़ें अभी कुछ ही देर हुई थी कि कैप्टन ने ऐलान किया, तूफानी बारिश और बिजली की वजह से जहाज का रेडियो सिस्टम ठीक से काम नही कर रहा। इसलिए हम तजदीकी एयरपोर्ट पर उतरने के लिए मजबूर हैं।


जहाज उतरने पर वह बाहर निकल कर कैप्टन से शिकायत करने लगा कि उसका एक-एक पल कीमती है और होने वाली कांफ्रेस में उसका पहुचना बेहद जरूरी है। यह सुनते ही पास खड़े दूसरे मुसाफिर ने उसे पहचान लिया और बोला डॉक्टर पटनायक आप जहां पहुंचना चाहते हैं टैक्सी द्वारा यहां से केवल तीन घंटे मे पहुंच सकते हैं उसने शुक्रिया अदा किया और टैक्सी लेकर निकल पड़ा। लेकिन आंधी-तूफान, बिजली और बारिश ने गाड़ी का चलना मुश्किल कर दिया, फिर भी ड्राइवर चलता रहा।

अचानक ड्राइवर को एह़सास हुआ कि वह रास्ता भटक चुका है, न उम्मीदी के उतार चढ़ाव के बीच उसे एक छोटा सा घर दिखा इस तूफान मे वही गनीमत समझ कर गाड़ी से नीचे उतरा और दरवाजा खटखटाया।

"अंदर से आवाज आई, जो कोई भी है अंदर आ जाओ, दरवाजा खुला है।"

अंदर एक बुढ़िया आसन बिछाए भगवद् गीता का पाठ पढ़ रही थी उसने कहा, "मांजी अगर आपकी इजाजत हो तो क्या मैं आपका फोन इस्तेमाल कर लूं।"


बुढ़िया मुस्कुराई और बोली बेटा कौन सा फोन?? यहां न बिजली है न फोन, लेकिन तुम बैठो सामने जल है, पी लो थकान दूर हो जाएेगी और खाने के लिए भी कुछ न कुछ फल भी मिल जाएगा, खा लो ताकि आगे के सफर के लिए तुम में कुछ शक्ति आ जाए। डाक्टर ने उस बुढ़ी महिला का शुक्रिया अदा किया और जल पीने लगा। बुढ़िया अपने पाठ मे खोई हुई थी कि उसकी नजर उसके (महिला के) पास पड़े एक बच्चे पर पड़ी, जो पूरी तरह से कंबल मे लिपटा पड़ा था, बुढ़िया थोड़ी-थोड़ी देर में उसे हिलाती।

जब उस बुढ़ी महिला ने अपना पाठ सम्पन्न कर खत्म कर लिया तो उसने कहा कि "मांजी! आपके स्वभाव और एह़सान ने मुझ पर जादू कर दिया है आप मेरे लिए भी दुआ कर दीजिए कि यह मौसम साफ हो जाए और मैं जहां पहुंचना चाहता हूं वहां जल्दी पहुंच सकूं। मुझे उम्मीद है आपकी दुआऐं जरूर कबूल होती होंगी।"

बुढ़िया बोली नही बेटा ऐसी कोई बात नही हैं, तुम मेरे अतिथि हो और अतिथि की सेवा ईश्वर का आदेश है। मैने तुम्हारे लिए भी दुआ की है परमात्मा का शुक्र है उसने मेरी हर दुआ सुनी है। बस एक दुआ और है जो मैं उससे रोज मांग रही हूं, जिसे शायद वह तब कबूल करेगा जब वह चाहेगा।

उस डाक्टर ने पूछा कि कौन सी दुआ। तब बुढ़िया ने उससे बताया कि बेटा "यह जो 2 साल का बच्चा तुम्हारे सामने अधमरा सा पड़ा है, मेरा पोता है, न इसकी मां जिंदा है न ही बाप। इस बुढ़ापे मे इसकी जिम्मेदारी मुझ पर है। डाक्टर कहते हैं इसे कोई खतरनाक रोग है जिसका वो इलाज नही कर सकते, कहते हैं एक ही नामवर डाक्टर है जो इसका इलाज कर सकता है। क्या नाम बताया था उसका, हां "डॉ पटनायक"। केवल वह ही इसका ऑप्रेशन कर सकता है, लेकिन मैं बुढ़िया कहां उस डॉक्टर तक पहुंच सकती हूं? लेकर जाऊं भी तो पता नही वह देखने पर राजी भी होगा या नही? बस अब इस बंसीवाले से ये ही मांगती रहती हूं कि वह मेरी इस मुश्किल को आसान कर दे। "

डाक्टर की आंखों से आंसुओं का सैलाब बह रहा है वह भरी हुई आवाज मे बोला। "मांजी आपकी दुआ ने हवाई जहाज को नीचे उतार लिया, आसमान पर बिजलियां कौदवां दीं, मुझे रस्ता भुलवा दिया ताकि मैं यहां तक खींचा चला आऊं, हे भगवान। मुझे यकीन ही नही हो रहा कि भगवान एक दुआ कबूल करने के लिए अपने भक्तों के लिए इस तरह भी मदद कर सकता है।"

सार- परमात्मा सर्वशक्तीमान है। ईश्वर के बंदो उससे लौ लगाकर देखो तो सही। जहां जाकर इंसान बेबस हो जाता है, वहां से उस प्रभु की परमकृपा शुरू होती है। 

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