राजनीति में सफलता के ग्रहयोग से जानें, कौन बनता है भयंकर व तेज नेता

Edited By ,Updated: 16 May, 2017 07:48 AM

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राजनीति में प्रवेश एवं सफलता के लिए ज्योतिषीय योग होते हैं। अन्य व्यवसायों की तरह ही राजनीति में सफलता या विफलता के लिए ग्रह काफी हद तक असर डालते हैं। राजनीति में सफल लोगों

राजनीति में प्रवेश एवं सफलता के लिए ज्योतिषीय योग होते हैं। अन्य व्यवसायों की तरह ही राजनीति में सफलता या विफलता के लिए ग्रह काफी हद तक असर डालते हैं। राजनीति में सफल लोगों की हस्तरेखा और कुंडली में कुछ खास तरह के योग होते हैं। जिन व्यक्तियों के हाथ की उंगलियां चौड़े सिरों वाली यानी सिरे पर पहले एवं दूसरे जोड़ की अपेक्षा अधिक चौड़ी होती हैं ऐसे व्यक्ति में कर्म करने की तीव्र इच्छा रहती है। ये व्यक्ति खाली नहीं बैठ सकते, लेकिन अस्थिर प्रवृत्ति के होते हैं। ऐसे व्यक्ति जन्मजात नेता और यात्रा प्रेमी तथा जीवन में बदलाव के पक्षपाती होते हैं। ऐसे व्यक्ति आविष्कारक एवं यान्त्रिक दक्षता वाली प्रवृत्ति के होते हैं। विस्तार, शोध एवं अनुसंधान से इन्हें विशेष प्रेम होता है। 


जिन व्यक्तियों की हाथ की उंगलियों के सिरे मिश्रित हों अर्थात एक उंगली का सिरा नोकदार, दूसरी उंगली का सिरा वर्गाकार, तीसरी का सिरा चौड़ा हो, ऐसा व्यक्ति बहुमुखी प्रतिभा का स्वामी होता है। ऐसा व्यक्ति किसी भी कार्य को अनायास ही करने में सक्षम होता है। वह सब कार्यों में दखल तो रखता है, किन्तु दक्ष किसी कार्य में नहीं होता। ऐसा व्यक्ति सर्वगुण सम्पन्न तो होता है, किन्तु उसमें विशेषज्ञता की कमी होती है। हर प्रकार के व्यक्ति से वह सही व्यवहार कर सकता है।


सफल राजनेताओं की जन्म कुंडली में राहू का संबंध छठे, सातवें, दसवें एवं ग्यारहवें घर में देखा गया है। कुंडली के दसवें घर को राजनीति का घर कहते हैं। सत्ता में भाग लेने के लिए दशमेश या दशम भाव में उच्च का ग्रह बैठा होना चाहिए। साथ ही गुरु नवम में शुभ प्रभाव में स्थित होना चाहिए। दशम घर या दशमेश का संबंध सप्तम घर से होने पर व्यक्ति राजनीति में सफलता प्राप्त करता है। छठे घर को सेवा का घर कहते हैं। व्यक्ति में सेवाभाव होने के लिए इस घर से दशम दशमेश का संबंध होना चाहिए।


नेतागिरी या राजनीति के लिए आवश्यक ग्रह हैं राहू, शनि, सूर्य और मंगल। राहू को सभी ग्रहों में नीति कारक ग्रह का दर्जा प्राप्त है। इसका प्रभाव राजनीति के घर पर होना चाहिए। सूर्य को भी राज्य कारक ग्रह की उपाधि दी गई है। सूर्य दशम घर में स्वराशि या उच्च राशि में होकर स्थित हो, राहू को छठे घर, दसवें घर व ग्यारहवें घर से संबंध बने तो यह राजनीति में सफलता दिलाने की संभावना बनाता है। इस योग में दूसरे घर के स्वामी का प्रभाव भी आने से व्यक्ति अच्छा वक्ता बनता है। शनि दशम भाव में हो या दशमेश से संबंध बनाए और इसी दसवें घर में मंगल भी स्थित हो तो व्यक्ति समाज के लोगों के हितों के लिए काम करने के लिए राजनीति में आता है। नेतृत्व के लिए सिंह लग्न अच्छा समझा जाता है। सूर्य, चंद्र, बुध एवं गुरु धन भाव में हों, छठे भाव में मंगल ग्यारहवें घर में शनि, बारहवें घर में राहु और छठे घर में केतु हो तो ऐसे व्यक्ति को राजनीति विरासत में मिलती है। यह योग व्यक्ति को लम्बे समय तक शासन में रखता है।


जब कर्क लग्न की कुंडली में दशमेश मंगल दूसरे भाव में, शनि लग्न में, छठे भाव में राहू तथा लग्नेश की दृष्टि के साथ ही सूर्य-बुध पंचम या ग्यारहवें घर में हो तो व्यक्ति को यश की प्राप्ति होती है।


वृश्चिक लग्न की कुंडली में लग्नेश बारहवें में गुरु से दृष्ट हो, शनि लाभ भाव में हो, राहू चंद्र चौथे घर में हो, शुक्र स्वराशि के सप्तम में लग्नेश से दृष्ट हो तथा सूर्य ग्यारहवें घर के स्वामी के साथ युति कर शुभ स्थान में हो साथ ही गुरु की दशम एवं दूसरे घर पर दृष्टि हो तो व्यक्ति प्रखर व तेज नेता बनता है।

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