कौन क्या है, केवल ये लोग ही जान सकते हैं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Jun, 2017 02:37 PM

who is this only these people can know

श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप व्याख्याकार : स्वामी प्रभुपाद श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय छ: ध्यानयोग श्री कृष्ण का निर्णय अंतिम तथा पूर्ण

श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप व्याख्याकार : स्वामी प्रभुपाद


श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय छ: ध्यानयोग


श्री कृष्ण का निर्णय अंतिम तथा पूर्ण


एतन्मे संशयं कृष्ण छेत्तुमर्हस्यशेषत:।
त्वदन्य: संशयस्यास्य छेत्ता न ह्युपपद्यते।। 39।।


शब्दार्थ : एतत्—यह है; मे—मेरा; संशयम्—सन्देह; कृष्ण—हे कृष्ण; छेत्तुम—दूर करने के लिए; अर्हसि—आपसे प्रार्थना है; अशेषत:—पूर्णतया;  त्वत्—आपकी अपेक्षा; अन्य:—दूसरा;  संशयस्य—सन्देह का; अस्य—इस; छेत्ता—दूर करने वाला; न—नहीं; हि—निश्चय ही; उपपद्यते—पाया जाना संभव है।


अनुवाद : हे कृष्ण! यही मेरा संदेह है और मैं आपसे इसे पूर्णतया दूर करने की प्रार्थना कर रहा हूं। आपके अतिरिक्त अन्य कोई ऐसा नहीं है, जो इस संदेह को नष्ट कर सके।


तात्पर्य : कृष्ण भूत, वर्तमान तथा भविष्य के जानने वाले हैं। भगवद्गीता के प्रारंभ में भगवान ने कहा है कि सारे जीव व्यष्टि रूप में भूतकाल में विद्यमान थे, इस समय विद्यमान हैं और भवबन्धन से मुक्त होने पर भविष्य में भी व्यष्टि रूप में बने रहेंगे। इस प्रकार उन्होंने व्यष्टि जीव के भविष्य के प्रश्न का स्पष्टीकरण कर दिया है। अब अर्जुन असफल योगियों के भविष्य के विषय में जानना चाहता है। कोई न तो कृष्ण के समान है, न ही उनसे बड़ा। अत: समस्त संदेहों का पूरा-पूरा उत्तर पाने के लिए कृष्ण का निर्णय अंतिम तथा पूर्ण है क्योंकि वे भूत, वर्तमान तथा भविष्य के ज्ञाता हैं, किंतु उन्हें कोई भी नहीं जानता। कृष्ण तथा कृष्णभावनाभावित व्यक्ति ही जान सकते हैं, कि कौन क्या है। 

(क्रमश:)

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