क्यों लगाते हैं मस्तक पर तिलक

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Feb, 2018 09:54 AM

why tilak on the forehead

भाल अर्थात कपाल पर तिलक लगाने की परम्परा हिंदू धर्म संस्कृति में अनादि काल से चली आ रही है। यह सामाजिक सांस्कृतिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व को एक गरिमा प्रदान करता है। मन-मस्तिष्क को शांति व शीतलता...

भाल अर्थात कपाल पर तिलक लगाने की परम्परा हिंदू धर्म संस्कृति में अनादि काल से चली आ रही है। यह सामाजिक सांस्कृतिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह व्यक्ति के व्यक्तित्व को एक गरिमा प्रदान करता है। मन-मस्तिष्क को शांति व शीतलता प्रदान करता है। शरीर की पवित्रता का परिचायक भी है। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी तिलक लगाने की महिमा है। हिंदू दर्शन, हिंदू जीवन शैली एवं मान्यता में व्यक्ति मन, बुद्धि,शरीर व आत्मा का पुंज है। मनुष्य के अंत:करण में ब्रह्म का वास है, अत: शरीर एक मंदिर है, इसे साफ-सफाई स्नान आदि द्वारा शुद्ध व पवित्र बनाए रखना अति आवश्यक है।


भाल पर तिलक इन सबका द्योतक है। भारत में हिंदू कपाल या मस्तक पर विभिन्न विधि-विधाओं द्वारा तिलक धारण करके जीवन को धन्य मानते हैं। तिलक भृकुटि पर यानी दोनों भौंहों के बीच त्रिवेणी स्थान अर्थात आज्ञाचक्र पर लगाया जाता है। इसी स्थान पर महिलाएं टीका, बिंदी लगाती हैं। अनेक महिलाएं विशेष अवसरों पर नाक के ऊपर से भृकुटि से होते हुए कपाल व मांग तक तिलक टीका भरती हैं।


माथे पर तिलक लगाने का महत्व प्रतिपादित करते हुए शास्त्रकारों ने बताया है कि मानव मस्तिष्क में सात सूक्ष्म ऊर्जा केंद्र हैं, जो असीम शक्ति के भंडार हैं, उन्हें चक्र कहा जाता है। माथे के सामने के बीच स्थान में आज्ञाचक्र है यह इडा पिंगला व सुषुम्ना नाड़ी का संगम स्थान है, अत: यह हमारे शरीर का महत्वपूर्ण चक्र स्थान है हमारी चेतना का प्रमुख स्थल है।


पूजा-अर्चना बिना तिलक लगाए नहीं की जाती। तिलक लगाने के समय सिर पर एक हाथ रखने की परम्परा है, यह भी मन-मस्तिष्क शांत रखने की प्रक्रिया है। वैष्णवों के तिलक के मध्य में भगवान विष्णु व लक्ष्मी का निवास है।


सनातन धर्म एवं हिंदू मान्यता के अनुसार मस्तक पर तिलक लगाना शुभ माना जाता है। यह सात्विकता प्रदान करने के साथ ही विजयश्री प्राप्त करने के उद्देश्य को पूरा करता है। अतिथि आगमन, पर्व-त्यौहार व यात्रा पर जाने के समय तथा तीर्थ स्थलों पर मंगल तिलक लगाने का प्रचलन है। देवी पूजा के बाद तिलक लगाने से आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। लाल रंग का तिलक ऊर्जा प्रदान करता है।


सामान्यत: तिलक चंदन, (लाल व सफेद), कुमकुम, मिट्टी, हल्दी, भस्म, रोली, सिंदूर और गोपी चंदन (गोपी मिट्टी) आदि का लगाया जाता है। यदि तिलक को दिखावे के रूप में प्रस्तुत नहीं करना है तो जल से भी तिलक लगाए जाने का शास्त्रोक्त विधान है। वैसे चंदन तिलक के कई प्रकार हैं : जैसे हरिचंदन, गोपीचंदन, श्वेतचंदन, गोकुलचंदन, गोमतीचंदन आदि।


मान्यतानुसार तिलक के लगाने से फल प्राप्त होता है-व्यक्तित्व आकर्षक और प्रभावशाली होता है, मस्तक पीड़ा में कमी आती है। ज्ञान तन्तु संयमित व क्रियाशील रहते हैं। हल्दी युक्त तिलक से त्वचा स्वस्थ व सुंदर होती है। चंदन का तिलक लगाने से व्यक्ति पापमुक्त होता है। मानसिक शांति व ऊर्जा प्राप्ति के लिए चंदन प्रभावकारी होता है। चंदन से कई प्रकार के मानसिक रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है।


मत पंथ सम्प्रदाय की मान्यतानुसार भी तिलक लगाने का विधान है। श्री सम्प्रदाय तिलक के रूप में वी आकार का लगाते हैं जो विष्णु के चरणों का प्रतीक है तथा बीच में लाल रेखा खींचते हैं, जो लक्ष्मी का परिचायक है। श्री वल्लभ सम्प्रदाय भाल पर एक खड़ी लाल रेखा खींचते हैं, जो यमुना की प्रतीक मानी जाती है।


यमुना जी गोवद्र्धन जी की बहन मानी जाती है। माधव सम्प्रदाय के लोग भगवान श्री कृष्ण के चरणों का प्रतिरूप दो खड़ी रेखाओं को तिलक के रूप में धारण करते हैं। इन दो रेखाओं के बीच में एक काली रेखा बनाई जाती है। काली रेखा के नीचे एक पीला अथवा लाल बिंदु बनाते हैं जो लक्ष्मी अथवा श्रीराधा का सूचक है। गोपी चंदन के तिलक को विशेष महत्व देते हैं।


गोविंद सम्प्रदाय के लोग गोपी चंदन का तिलक लगाते हैं। ये लोग वृंदावन की माटी का तिलक भी लगाते हैं। द्वारिका स्थित गोपीतालाब की मिट्टी भी तिलक के लिए प्रयोग की जाती है।

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!