क्यों पंचामृत के बिना अधूरा माना जाता है भगवान का पूजन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jan, 2018 12:01 PM

why worship of god considered incomplete without panchamrita

भारतीय सभ्यता में पंचामृत का महत्त्व कुछ इस तरह बताया गया है कि श्रृद्धापूर्वक पंचामृत का पान करने वाले व्यक्ति को जीवन में सभी प्रकार के सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके पान से मानव जन्म और मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है तथा मोक्ष की...

भारतीय सभ्यता में पंचामृत का महत्त्व कुछ इस तरह बताया गया है कि श्रृद्धापूर्वक पंचामृत का पान करने वाले व्यक्ति को जीवन में सभी प्रकार के सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके पान से मानव जन्म और मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है तथा मोक्ष की प्राप्ति करता है। प्रभु को पंचामृत का अभिषेक किए बिना पूजन अधूरा रहता है। भगवान को दूध, दही, गौ-घृत, शक्कर और मधु से स्नान कराने में एक विशिष्ट भावना छिपी है। भगवान की पूजा हमारे विकास के लिए है।


पंचामृत का अर्थ है पांच तरह के अमृत का मिश्रण। यह मिश्रण को बनाने के लिए दुग्ध, दही, घृत (घी), चीनी और मधु का उपयोग किया जाता है। पंचामृत एक पेय पदार्थ होता है, जो हव्य-पूजा की सामग्री होता है, जिसका प्रसाद के रूप में विशिष्ट स्थान है। इसी से भगवान का अभिषेक भी किया जाता है।


पंचामृत के विषय में शास्त्रों में एक श्लोक उपलब्ध है जो कुछ इस प्रकार है-


‘पयो दधि घृतं मधु चैव च शर्करायुतम्।’
पंचामृतं मयानीतं स्नानार्थ प्रतिगृह्यताम्।।

अर्थात- मैं दूध, दही, शुद्ध घी, मधु और शक्कर से युक्त पंचामृत आपके स्नान के लिए लाया हूं, कृपया उसको स्वीकार करें।

 

पंचामृत की सामग्री का महत्त्व-
पंचामृत निर्माण में प्रयोग की जाने वाली सामग्री किसी न किसी रूप में आत्मोन्नति का संदेश देती है-

दूध- दूध पंचामृत का प्रथम भाग है। यह शुद्धता का प्रतीक है, अर्थात हमारा जीवन दूध की तरह निष्कलंक हो इसलिए हम दूध से पंचामृत बनाते हैं।


दही- यह दूध की तरह सफेद होता है लेकिन इसकी विशेषता यह है कि यह दूसरों को अपने जैसा बनाता है। दही चढ़ाने का अर्थ यही है कि, पहले हम निष्कलंक हो सद्गुण अपनाएं और दूसरों को भी अपने जैसा बनाएं।


घी- स्निग्धता और स्नेह का प्रतिक घी है। स्नेह और प्रेम हमारे जीवन में स्नेह की तरह काम करता है। सभी से हमारे स्नेहयुक्त संबंध हों यही भावना से पंचामृत में घी विशेष माना जाता है।


शहद- शहद मीठा होने के साथ ही शक्तिशाली भी होता है। निर्बल व्यक्ति जीवन में कुछ नहीं कर सकता तन और मन से शक्तिशाली व्यक्ति ही सफलता पा सकता है। शहद इसका ही प्रतीक है।


शक्कर- मिठास शक्कर का प्रमुख गुण है। शक्कर चढ़ाने का अर्थ है कि, जीवन में मिठास व्याप्त हो। मिठास प्रिय शब्द बोलने से आती है। प्रिय बोलना सभी को अच्छा लगता है और इससे मधुर व्यवहार बनता है। हमारा जीवन शुभ रहे स्वयं अच्छे बनें और दूसरों को भी अच्छा बनाएं। इस भावना से ही पंचामृत में शक्कर को मिलाया जाता है।

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