कुप्रथाओं की बेड़ी तोड़ विधवाओं ने मनाया रंगों का त्यौहार होली

Edited By ,Updated: 10 Mar, 2017 10:33 AM

widows play holi in vrindavan

वृंदावन का 400 वर्ष पुराना गोपीनाथ मंदिर एक बार फिर सदियों पुरानी परंपरा के टूटने का गवाह बना, जब विधवा महिलाओं ने

वृंदावन का 400 वर्ष पुराना गोपीनाथ मंदिर एक बार फिर सदियों पुरानी परंपरा के टूटने का गवाह बना, जब विधवा महिलाओं ने वहां रंगों वाली होली खेली। जीवन के रंगों से दूर रहीं ये विधवाएं अब तक सिर्फ सफेद वस्त्रों में लिपटी रहने को मजबूर रहती आई हैं। लेकिन सुलभ इंटरनेशनल की पहल पर अब ये सैकड़ों साल पुराने बंधनों से मुक्त हो रही हैं। वृन्दावन में अलग-अलग स्थानों पर निर्मित आठ आश्रय सदनों में रह रहीं इन बुजुर्ग और विधवा महिलाओं ने भक्तिकाल में निर्मित ठाकुर राधागोपीनाथ मंदिर में रंग और उमंग के त्योहार में सम्मिलित हुईं। 


इस मौके पर सुलभ इंटरनेशनल के संस्थापक डा. बिंदेश्वर पाठक भी मौजूद रहे। फूलों और गुलाल से खेली गई इस होली के दौरान विधवाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था।  इस होली में पंद्रह क्विंटल गुलाल और करीब इतने ही गुलाल व गेंदे की पंखुडिय़ों का इस्तेमाल हुआ। लगातार पांचवें साल सुलभ इंटरनेशनल द्वारा आयोजित रंगों के इस त्यौहार में वृद्घ एवं विधवा महिलाओं ने जमकर आनंद उठाया।  


पाठक ने कहा, ‘‘विधवाओं की जिंदगी में नए रंग भरने का मौका लाकर सुलभ ने समाज को यह संदेश देने की कोशिश की है कि विधवा महिलाएं भी समाज का उतना ही महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जितने कि दूसरे लोग।’’  


गौरतलब है कि सुलभ इंटरनेशनल वृंदावन, वाराणसी और उत्तराखंड के केदारनाथ की हजारों विधवाओं की न सिर्फ देखभाल कर रहा है, बल्कि कौशल विकास कार्यक्रमों के जरिए उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में लगातार काम कर रहा है।

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