Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Sep, 2017 01:05 PM
झूठ बोलने का परिणाम
एक चरवाहा किसी वन में मवेशी चराया करता था। चरागाह के निकट वन में बाघ का निवास था।
झूठ बोलने का परिणाम
एक चरवाहा किसी वन में मवेशी चराया करता था। चरागाह के निकट वन में बाघ का निवास था। चरवाहा खेल-खेल में ही कभी-कभी ‘‘बाघ आया, बाघ आया’’ कह कर उच्च स्वर में चिल्लाया करता था।
आसपास के लोग बाघ आने की बात सुनकर बड़ी व्यग्रता के साथ अपने हथियारों से लैस होकर उसकी सहायता करने को वहां आ जाते। चरवाहा उन्हें देख खिलखिलाकर हंस पड़ता। आए हुए लोग अपना-सा मुंह लेकर लौट जाते।
आखिरकार एक दिन सचमुच ही बाघ ने आकर उसके मवेशियों पर आक्रमण कर दिया। तब चरवाहा अत्यंत व्याकुल होकर ‘‘बाघ आया, बाघ आया’’ कह कर जोर-जोर से चिल्लाने लगा परंतु उस दिन उसकी सहायता के लिए कोई भी नहीं आया।
सबने सोचा ‘‘दुष्ट चरवाहा पहले के समान ही हम लोगों के साथ हंसी मजाक कर रहा है।’’
बाघ ने अपने इच्छानुसार मवेशियों को मार डाला और अंत में चरवाहे का भी वध करके चल दिया। मूर्ख चरवाहा मरते समय बड़बड़ा रहा था, ‘‘सर्वदा झूठ बोलने वाले के सत्य पर भी कोई विश्वास नहीं करता।’’