आपने भी रखा है आज जन्माष्टमी व्रत, जानें पारण समय

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Aug, 2017 03:39 PM

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शास्त्रों में यह वर्णित है की वैवस्वत मन्वन्तर के अट्ठाईसवें द्वापर में श्रीकृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से मथुरा के कारागर में जन्म लिया था। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म छठे हिन्दू महीने भाद्रपद के

शास्त्रों में यह वर्णित है की वैवस्वत मन्वन्तर के अट्ठाईसवें द्वापर में श्रीकृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से मथुरा के कारागर में जन्म लिया था। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म छठे हिन्दू महीने भाद्रपद के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। श्रीकृष्ण के जन्म के समय महानिशीथ काल था। अतः उस समय पूर्वी क्षितिज पर वृष लग्न उदय हो रहा था। उस समय चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में था। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार श्रीकृष्ण के जन्म का समय मध्यरात्रि थी। शास्त्रनुसार श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव अर्थात जन्माष्टमी मनाने के लिए काल पंचांग के निर्णय शस्त्र अनुसार भाद्रपद का महीना, मध्यरात्रि पर व्याप्त कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तथा चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र पर निर्भर करता है।


धर्म सिंधू निर्णयसागर के अनुसार श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाने के दो मत प्रचलित हैं। पहला मत जिसे 99% सांसरिक लोग स्वीकार करते है। इस मत को "स्मार्त" कहते है अर्थात इस संप्रदाय को स्मार्त संप्रदाय कहा जाता है। सभी आस्तिक हिन्दू जो पंचोदेवोपासक अर्थात जो पांच देवों "शिव शक्ति गणेश विष्णु और सूर्य को पूजते हैं उन्हे स्मार्त कहते हैं। सरल भाषा में सभी गृहस्थ और सांसरिक हिंदुओं को 'स्मार्त' कहते हैं हैं। और दूसरा मत है "वैष्णव" मत अर्थात बैरागी या सन्यासी जो संसार से दूर रहते हैं। जो पंचदेव को न पूजकर एकमात्र परमेश्वर को मानते हुए विधिवत गुरु से दीक्षा लेकर मंत्र, माला, आसान, कंठी और लंगोट धारण करते हुए सन्यास लेते हैं उन्हे वैष्णव या वैरागी कहा जाता है। 


ज्योतिषशास्त्र के पंचांग अनुसार सर्वाधिक पर्व गृहस्थो के आधार पर मनाए जाते हैं। सोमवार दि॰ 14.08.17 को अष्टमी तिथि शाम 07 घं॰ 45 मि॰ से प्रारंभ हो जाएगी जो की अगले दिन मंगलवार दि॰ 15.08.17 को सूर्यास्त पूर्व शाम 5 घं॰ 39 मि॰ पर समाप्त हो जाएगी। अतः मध्यरात्रि व्यापीनी अष्टमी तिथि सोमवार दि॰ 14.08.17 को ही है। अतः सिंधु निर्णयसागर अनुसार सोमवार दि॰ 14.08.17 को श्रीकृष्ण की 5244 वीं जन्मगांठ मनाई जाएगी। पूजन हेतु निशिता काल 44 मि॰ का रहेगा जो की प्रारंभ होगा रात 12 घं॰ 09 मि॰ से लेकर 12 घं॰ 53 मि॰ तक है तथा भगवान श्रीकृष्ण का जन्म समय होगा ठीक रात 12 घं॰ 31 मि॰ पर। जन्माष्टमी व्रत का पारण मंगलवार दि॰ 15.08.17 को शाम 5 घं॰ 40 मि॰ पर होगा।


आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com 

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