PIXS: भारत के प्रसिद्ध मंदिर, बड़ी संख्या में उमड़ता है भक्तों का सैलाब

Edited By ,Updated: 02 Feb, 2016 12:44 PM

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भारत में बहुत सारे मंदिर हैं जहां भक्त अपनी श्रद्धा और आस्था के अनुसार जाते हैं लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां भक्तों का मानना होता है की वहां साक्षात भगवान वास करते हैं और

भारत में बहुत सारे मंदिर हैं जहां भक्त अपनी श्रद्धा और आस्था के अनुसार जाते हैं लेकिन कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां भक्तों का मानना होता है की वहां साक्षात भगवान वास करते हैं और बड़ी संख्या में वहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है। पौराणिक दृष्टी से देखा जाए तो इन मंदिरों का खासा महत्व है। जानें उन मंदिरों के बारे में-

श्री जगन्नाथ मंदिर-  हिन्दुओं के चार धामों में से एक है श्री जगन्नाथ मंदिर। यहां भगवान जगन्नाथ जी अपने बड़े भाई बलराम जी और बहन देवी सुभद्रा के साथ विराजते हैं।  

मीनाक्षी अम्मन मंदिर- भगवान शिव व देवी पार्वती को समर्पित है ये मंदिर। मान्यता है की इसका मुख्य गर्भगृह 3500 वर्ष से भी अधिक प्राचीन है। 

तिरूपति बालाजी मंदिर- विष्णु जी के अवतार माने जाने वाले भगवान वैंकटेश्वर का यह मंदिर समुद्र तल से 2800 फिट की ऊंचाई पर है। औसतन यहां 50,000 श्रृद्धालु प्रतिदिन दर्शनों के लिए आते हैं और बेशुमार चढ़ावा चढ़ाते हैं। यह मंदिर दुनिया के अमीर मंदिरों में से एक है।

वैष्णो देवी मंदिर- भारत का सबसे पुरातन भगवती मंदिर है। यहां देवी लक्ष्मी, सरस्वती और काली पिण्डी रूप में विराजित हैं। प्रत्येक वर्ष यहां 500 करोड़ रुपए का दान भक्तों द्वारा दिया जाता है।

सोमनाथ मंदिर-  इस मंदिर को भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम ज्योतिर्लिंग का स्थान प्राप्त है। ऋग्वेद में भी इस मंदिर का वर्णन मिलता है। मान्यता है की इस मंदिर का निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था। इस मंदिर को बहुत बार नष्ट किया गया फिर इसका पुनर्निर्माण हुआ।  

काशी विश्वनाथ मंदिर-  यह मंदिर भी बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। कहा जाता है की इस मंदिर में दर्शनों और गंगा में डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पद्मनाभ स्वामी मंदिर- देश-विदेश से श्रद्धालु इस मंदिर में स्थापित भगवान विष्णु के स्वरूप के दर्शनों के लिए आते हैं। यहां भगवान शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजित हैं इसलिए इन्हें भगवान पद्मनाभ स्वामी के नाम से जाना जाता है।

गुरुवयुर मंदिर- यह प्राचीन मंदिर औसतन 5000 वर्ष से भी अधिक पुराना है। श्री हरि को समर्पित यह मंदिर वैष्णवों की आस्था का मुख्य केंद्र है। 

मुंडेश्वरी मंदिर- 1700 साल पुराना यह मंदिर भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। 

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