भोलेबाबा के भक्तों की हो रही बदतर हालत, जिम्मेदार कौन?

Edited By ,Updated: 25 Jul, 2016 09:17 AM

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पंचक लगने के बाद आज कांवडियों की संख्या में काफी कमी देखने को मिली। प्रशासन हालांकि नहर पटरी से कांवडियों को वापस लौटने में जुटा हुआ है, लेकिन

पंचक लगने के बाद आज कांवडियों की संख्या में काफी कमी देखने को मिली। प्रशासन हालांकि नहर पटरी से कांवडियों को वापस लौटने में जुटा हुआ है, लेकिन कांवड़ पटरी की हालत देखने के लिए न तो स्थानीय निकायों के पास समय है और न ही प्रशासन ने कांवड़ पटरी की स्थिति के अनुसार चिकित्सा सुविधा ही उपलब्ध करवाई है।

 

कांवड़ पटरी से होकर आने वाले कांवडियों के लिए संत से समिति की ओर से चिकित्सा शिविर लगाने वाले देवेन्द्र सिंह वर्मा ने बताया कि इस बार कांवडियों के पैरों में छोटे-बडे़ नुकीले पत्थर और शरीर के विभिन्न हिस्सों में जंगली कीटों के काटने से खुजली और दाने निकलने जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। 

 

इस मार्ग पर पड़ी कटी हुई पत्थर की रोडियों के कारण नंगे पांव चलने वाले कांवडि़ए घायल हो रहे हैं, साथ ही उन्हें मीलों तक चिकित्सकीय सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ऐसे में हुए घावों के कारण रोज दर्जनों कांवडि़ए लंगड़ाते हुए पट्टी करवाने आ रहे हैं। पटरी पर विभागीय अधिकारियों ने कटे पत्थर के साथ मिट्टी डालकर बजट का धन ठिकाने लगाने में भूमिका निभाई है।

 

इस बार सभवत: चुनावी वर्ष होने के कारण प्रशासन भी कांवडियों के साथ नरमी से पेश आ रहा है। वर्तमान में जरूरत है कि कांवड़ पटरी मार्ग पर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करवाया जाए और रास्तों को नंगे पैर चलने लायक बनाने की दिशा में कदम उठाए जाएं।

 

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