Edited By ,Updated: 03 Oct, 2016 10:22 AM
नवरात्रों पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का पूजन करने से प्रत्येक प्रकार की बाधाअों से मुक्ति मिलती है। सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करने से
नवरात्रों पर मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का पूजन करने से प्रत्येक प्रकार की बाधाअों से मुक्ति मिलती है। सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करने से भक्त की संपूर्ण मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती है। मां दुर्गा अपने भक्त की प्रार्थना सुन उनकी परेशानियों को दूर करते है। कहा जाता है कि एक राजा ने माता को प्रसन्न करने के लिए गर्म तेल में पूजा की थी। माता ने उसकी पूजा से प्रसन्न होकर उसे वरदान मांगने को कहा था परंतु उसने माता का सिर काट अौर अपने साथ ले गया था।
औरैया व जालौन क्षेत्र में करना खेरा पड़ता है। यह स्थान राजा करन की नगरी थी। राजा करन भी महाभारत के कर्ण की भांति ही दानवीर थे। वह मां दुर्गा के कर्णा स्वरूप में पूजा करते थे। माता ने करन की भक्ति से प्रसन्न होकर उसे प्रतिदिन सवा मन सोना देने का वरदान दिया था। इस सोने को राजा करन अपनी प्रजा में बांट देते थे। यह बात दूसरे राज्यों में भी फैल गई। उज्जैन के राजा विक्रमादित्य भी ये बात सुन कर मां के दर्शन करने यहां आया।
राजा विक्रमादित्य करन का पूजा करने का तरीका देख हैरान हो गए। राजा करन खौलते तेल में खड़े होकर मां कर्णा की पूजा करते थे। राजा विक्रमादित्य ने करन का वेश धारण कर खौलते तेल में खड़े होकर पूजा करनी आरंभ कर दी। उनकी पूजा से प्रसन्न होकर माता ने उसे वरदान मांगने को कहा। राजा विक्रमादित्य ने माता कर्णा को अपने साथ उज्जैन चलने की बात कही। माता ने इससे मना कर दिया। राजा विक्रमादित्य ने तलवार से माता की प्रतिमा का धड़ काट दिया अौर उसे अपने साथ उज्जैन ले गए।
राजा विक्रमादित्य ने उज्जैन में माता कर्णा की प्रतिमा हरिसिद्घि देवी के नाम से स्थापित की। यह मंदिर आज भी पूरे देश में प्रसिद्ध है। माना जाता है कि हरिसिद्घि देवी के दर्शन तब तक पूर्ण नहीं होते जब तक अाैरेया में मां कर्णा देवी की पूजा न की जाए। माना जाता है कि यहां सच्चे मन से पूजा करने पर व्यक्ति की प्रत्येक मनोकामनाएं पूर्ण होती है। नवरात्रों में यहां लाखों भक्त माता के दर्शनों हेतु आते हैं।