भक्तिमार्ग से जुड़ने के लिए, करें स्वामी निष्काम जी द्वारा स्थापित कृपाधाम आश्रम की यात्रा

Edited By ,Updated: 21 Nov, 2015 03:33 PM

kirpa dham ashram

निराकार भगवान धरती पर समय-समय पर अपना साकार रूप संतों के रूप में मानव कल्याण के लिए भेजते हैं। उनका समस्त जीवन ही समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाता है।

निराकार भगवान धरती पर समय-समय पर अपना साकार रूप संतों के रूप में मानव कल्याण के लिए भेजते हैं। उनका समस्त जीवन ही समाज के लिए प्रेरणा स्रोत बन जाता है। इसी शृंखला में भगवान के नाम का सिमरन करते हुए जीवन को जरूरतमंदों की सेवा का उद्देश्य मान कर आगे बढ़ रहे हैं स्वामी निष्काम जी (श्रवण कुमार)। स्वामी  जी का जन्म 21 नवम्बर 1935 को गांव साहीवाल जिला सरगोधा  (पाकिस्तान) में हुआ। इन्होंने  मात्र 9 वर्ष की आयु में आर.एस.एस. की शाखाओं में जाना शुरू कर दिया जहां इन्हेें देश सेवा की प्रेरणा मिली।

देश के विभाजन के उपरांत आप ने भारत आकर मात्र 12 वर्ष की आयु में शरणार्थियों के शिविरों में जाकर जरूरतमंदों की सेवा की जिसे उन्होंने अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। स्वामी जी ने अपने जीवन को आध्यात्मिक पथ पर चलाने हेतु 1954 में गुरुदेव स्वामी सत्यानंद जी महाराज से नाम दीक्षा ली। नाम रूपी कमाई करते हुए संसार से विरक्त होकर संन्यास की वृत्ति उन्हें नीलकंठ की पहाडिय़ों में ले गई। छ: मास तक वहीं पहाडिय़ों में साधना में लीन रहे। इसी समय एक महान संत से मिलाप हुआ। 
 
उन्होंने घर लौटने की प्रेरणा दी और कहा कि आप को संसार में जाकर सेवा के बहुत कार्य करने हैं। आपको ईश्वर ने मानव सेवा करने और ईश्वर के मार्ग पर चलने के लिए भेजा है। अत: गुरु जी ने संसार में लौटकर सतगुरु के वचनों पर चलते हुए अपना समग्र जीवन सेवा और सिमरन में लगा दिया। भक्त हंसराज राज जी महाराज (पिता जी) की प्रेरणा व आदेशानुसार वह लुधियाना में अमृतवाणी सत्संग व रामायण यज्ञ में अक्सर शामिल होकर अपना कर्तव्य पालन करते रहे। 
 
उन्होंने 1975 में ‘निष्काम सेवा समिति’ की स्थापना करके अपना जीवन समाज सेवा हेतु समर्पित कर दिया जिसके अंतर्गत पक्खोवाल रोड पर निष्काम वृद्धाश्रम, बाल आश्रम व झुग्गी झोंपड़ी के बच्चों के लिए विद्यालय, बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई सैंटर, कढ़ाई के कोर्स, शार्ट हैंड टाइपिंग शुरू किए गए। आज कम्प्यूटर सैंटर, फैशन डिजाइनिंग के अलावा जरूरतमंद लड़कियों के विवाह आदि के कार्य पंजाब के अलावा हिमाचल में भी शुरू किए गए हैं। 
 
स्वामी निष्काम जी द्वारा लिखे हुए ग्रंथ लोगों को शांति और प्रेम का संदेश दे रहे हैं। स्वामी जी ने लोगों को भक्तिमार्ग से जोडऩे के लिए 2001 में कृपाधाम आश्रम की स्थापना की जहां निरंतर अमृतवाणी सत्संग, अखंड जप यज्ञ व गीताज्ञान यज्ञ आदि का आयोजन होता रहता है। प्रत्येक पूर्णमासी को विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है। इच्छुक साधकों को नाम दीक्षा भी दी जाती है।  
 
 प्रस्तुति : राम, शाम शोरी (लुधियाना)

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