भारत ही नहीं विदेशों में भी है श्राद्घ का रिवाज लेकिन है थोड़ा गजब अंदाज

Edited By ,Updated: 10 Oct, 2015 04:31 PM

memorial traditons in foreign

जब किसी परिवार के सदस्य इस नश्वर संसार को त्यागकर किसी भी कारण से मृत्यु को प्राप्त होते हैं तो वह पितर कहलाते हैं। भारत में अपने पूर्वज पितरों के प्रति श्रद्धा भावना से पितृ यज्ञ एवं श्राद्ध कर्म करना अति आवश्यक है। अपने पूर्वजों यानी पितरों को...

जब किसी परिवार के सदस्य इस नश्वर संसार को त्यागकर किसी भी कारण से मृत्यु को प्राप्त होते हैं तो वह पितर कहलाते हैं। भारत में अपने पूर्वज पितरों के प्रति श्रद्धा भावना से पितृ यज्ञ एवं श्राद्ध कर्म करना अति आवश्यक है। अपने पूर्वजों यानी पितरों को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए हर साल पितर पक्ष में उनके निमित्त दान एवं तर्पण किया जाता है। जिनके पितर श्राद्ध में ब्राह्मण को दिए गए भोजन से तृप्त होते हैं वह अपने परिवार के सदस्यों पर सदा ही कृपा करते हैं इससे घर में खुशहाली आती है तथा प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है। विदेशों में भी श्राद्ध पक्ष मनाया जाता है तो आईए जानें दुनिया के विभिन्न देशों में कैसी परंपराएं प्रचलित हैं।

दक्षिण कोरिया- प्रत्येक वर्ष यहां तीन दिवसीय चुसियोक उत्सव मनाया जाता है जो पुरखों को समर्पित होता है। तीन दिन कोरिया में छुट्टी होती है ज्यादातर कोरियाई अपने पैतृक गांवों में जाकर पारंपरिक ढ़ग से सुबह विभिन्न प्रकार के पकवान बनाते हैं जिसमें सोंगपायन (राइस केक) मुख्य रूप से बनाया जाता है। फिर वह लोग अपने पूर्वजों की समाधि पर जाकर अथवा घर के बाहर इन पकवानों को रखने के बाद खुद भी खाते हैं। इस अवसर पर विभिन्न खेलों और नृत्य-संगीत का आयोजन भी किया जाता है।

 

मैक्सिको- मैक्सिको में नवम्बर महीने की पहली और दूसरी तारीख को इस दिन ऑल सेंट्स डे और ऑल सोल्स डे मनाया जाता है। यह फेस्टिवल फिलीपींस, अमरीका और भी कई देशों में मनाया जाता है। चाहे यह उत्सव मृतकों की याद में मनाया जाता है, लेकिन यह दुख नहीं बल्कि उल्लास से भरा होता है। लोग तरह-तरह के मास्क पहन कर नाचते-गाते हैं और विभिन्न तरह के पकवानों का अानंद उठाते हैं। 

जापान- जापान में बोन फेस्टिवल 500 सालों से मनाया जाता है। इस उत्सव का प्रमुख उद्देश्य मृत रिश्तेदारों और माता-पिता के प्रति अपनी श्रद्धा का इजहार करना है। जिसे जापानी पूरे उत्साह से मनाते हैं। इस उत्सव में आतिशबाजी, तरह-तरह के खेल खानपान की स्वादिष्ट सामग्रियां आदि सब कुछ होता है। 

चीन- चीन में मनाए जाने वाले किंगमिंग फेस्टिवल का प्रमुख उद्देश्य अपने पूर्वजों की समाधि की साफ-सफार्ई करना और उन्हें सजाना हैं। इसके साथ ही लोग समाधि पर चाय, नाश्ता, स्वादिष्ट भोजन, जोस पेपर आदि भी चढ़ाते हैं ताकि उनके मृत रिश्तेदारों की आत्मा इनसे तृप्त हो सके।  पहले चीन में यह परंपरा लोग अलग-अलग दिनों में निभाते थे परंतु एक राजा ने नियम बना दिया कि सभी देशवासी किसी खास दिन इस परंपरा को निभाएंगें। इस उत्सव में मृतकों की आत्मा की शांति के लिए भी प्रार्थना की जाती है।

नेपाल- नेपाल में गायजात्रा उत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। यह अगस्त-सितंबर के महीनों में पितरों को प्रसन्न करने के लिए मनाते हैं। जिसे गायजात्रा यानी गायों का उत्सव भी कहते हैं। इसके तहत गायों का जुलूस निकाला जाता है, जिसमें वे लोग शामिल होते हैं, जिनके पूर्वजों की बीते साल मृत्यु हो गई हो क्योंकि हिंदू परंपरा के अनुसार गाय में देवताओं का वास माना जाता है इसलिए इनकी यह मान्यता है कि गाय उनके मृत रिश्तेदारों की आत्मा को सही राह दिखाती हैं। जिससे उनके पूर्वज भटकते नहीं।  

इंडोनेशिया- इस देश में मृत रिश्तेदारों और आत्मीय संबंधियों को प्रसन्न करने की अनूठी परंपरा का पालन किया जाता है। यहां के गांव वाले हर साल मृतक परिजनों को उनकी कब्र से निकालते हैं। यहां पर शवों को ममी बनाया जाता है। यहां के वासी इन ममीज को नए कपड़े पहनाते हैं और बालों में कंघी करते हैं। इतना ही नहीं, इसके बाद इन शवों को उस जगह तक जुलूस के रूप में ले जाया जाता है, जहां इनकी मृत्यु हुई थी। फिर इनके पसंदीदा पकवान परोसे जाते हैं। सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद शव को दोबारा कब्र में दफना दिया जाता है। 

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