PIX: रुद्राक्ष की भांति दिखाई देता है शिवलिंग, चारों दिशाओं में हैं बारह ज्योतिर्लिंग

Edited By ,Updated: 29 Aug, 2016 09:53 AM

nageshwar jyotirlinga

भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक नागेश्वर ज्योतिर्लिंग द्वारिका के पूर्वोत्तर में स्थित है। शिवपुराण के अनुसार इस शिवलिंग की श्रद्धा-भक्ति अौर समर्पण

भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक नागेश्वर ज्योतिर्लिंग द्वारिका के पूर्वोत्तर में स्थित है। शिवपुराण के अनुसार इस शिवलिंग की श्रद्धा-भक्ति अौर समर्पण के भाव से पूजा करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

 

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना

कहा जाता है कि सुप्रिय नाम का एक वैश्य जो भगवान शिव का भक्त था। वह हर समय भोलेनाथ की भक्ति में लीन रहता था। एक बार वह नाव से जा रहा था, वहां दारुक नाम का दैत्य वहां आ गया। दैत्य ने नाव में सवार लोगों को बंदी बनाकर अपने बंदीगृह में कैद कर लिया।  वहां भी सुप्रिय भोलेनाथ की भक्ति करता रहा। दैत्य ने उसे ऐसा करन से रोका परंतु सुप्रिय भोलेनाथ की भक्ति में लीन रहा। दारुक ने क्रोध में आकर अपने सेवकों को सुप्रिय का वध करने को कहा। जब सेवक सुप्रिय का वध करने आए तो बंदीगृह के एक ऊंचे स्थान पर भगवान शिव ने प्रकट होकर सुप्रिय को पाशुपतास्त्र दिया। सुप्रिय ने उस पाशुपतास्त्र से दारुक दैत्य सहित सभी राक्षसों का वध कर दिया। दारुक मृत्यु से पूर्व मुक्ति के लिए भोलेनाथ अौर माता पार्वती से प्रार्थना करने लगा। भगवान शिव ने उसे मुक्ति देकर उस स्थान को उसी के नाम से प्रसिद्ध होने का वरदान दिया। सुप्रिय ने भोलेनाथ से इसी स्थान पर रहने की प्रार्थना की अौर भगवान शिव उस स्थान पर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से विराजमान हो गए।


यहां है दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग

नागेश्वर मंदिर का ज्योतिर्लिंग दक्षिणमुखी है, जबकि गोमुख पूर्वमुखी। इसके संबंध में कहा जाता है कि भगवान शिव के सामने खड़ा होकर नामदेव नाम का एक भक्त भजन कर रहा था। पीछे खड़े भक्तों ने उसे एक तरफ होकर भजन करने को कहा ताकि उन्हें भी भोलेनाथ के दर्शन हो सके। जिस पर नामदेव ने कहा कि वे उसे ऐसी दिशा बता दें जहां भोलेनाथ न हों। लोगों ने क्रोधित होकर उसे एक कोने में धकेल दिया। वह वहीं खड़ा होकर भजन करता रहा। कुछ समय के पश्चात शिवलिंग का मुख स्वयं नामदेव की अोर हो गया। यह दृश्य देख सभी हैरान हो गए। उस समय आज तक यह नागेश्वर ज्योतिर्लिंग दक्षिणमुखी है।


रुद्राक्ष की भांति दिखाई देता है शिवलिंग

यहां स्थापित शिवलिंग में छोटे-छोटे चक्कर खुदे होने के कारण ये रुद्राक्ष की भांति दिखाई देता है। दारुक वन में प्रवेश करने पर भगवान शंकर की एक भव्य प्रतिमा दिखाई देती है जिसमें भोलेनाथ ध्यान मुद्रा में बैठे हैं। यह प्रतिमा करीब साठ फीट ऊंची है। 

 

शिवलिंग के सम्मुख नहीं है उनके वाहन नंदी की प्रतिमा 

भगवान शिव के प्रत्येक मंदिर में शिवलिंग के सम्मुख उनके वाहन नंदी की प्रतिमा होती है परंतु यहां नंदी की कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है। मुख्य मंदिर के पीछे नंदी का एक मंदिर बना हुआ है, जिसे नंदिकेश्वर के नाम से जाना जाता है। यहां मुख्य मंदिर की चारों दिशाओं में भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग के छोटे-छोटे मंदिर बने हुए है। मंदिर के एक बड़े भाग में भगवान शिव और पार्वती की बहुत ही सुंदर प्रतिमा विराजमान हैं। उस प्रतिमा में माता पार्वती रुष्ट अौर भोलेनाथ उन्हें उन्हें मनाने की कोशिश करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

 

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