भारत दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक: अध्ययन

Edited By ,Updated: 25 May, 2016 06:25 PM

india is the world s fifth largest producer of e waste study

एक अध्ययन के अनुसार भारत का उदय जहां एक तरफ दुनिया के सबसे बड़े दूसरे बाजार के तौर पर हुआ है वहीं वह विश्व का पांचवा सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक देश भी है

नई दिल्ली: एक अध्ययन के अनुसार भारत का उदय जहां एक तरफ दुनिया के सबसे बड़े दूसरे बाजार के तौर पर हुआ है वहीं वह विश्व का पांचवा सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक देश भी है जहां हर साल लगभग साढ़े 18 लाख टन ई-कचरा उत्पन्न होता है।  

 
एसोचैम और केपीएमजी के एक संयुक्त अध्ययन में सामने आया है कि पूरे ई-कचरा में अकेले दूससंचार उपकरणों की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत है।  इसमें कहा गया है कि हाल के दिनों में ई-कचरा के स्तर में बढ़ोत्तरी होना भारत के लिए गहरी चिंता का विषय है। हर साल यहां 100 करोड़ से ज्यादा मोबाइल फोनों का प्रयोग किया जाता है जिनमें से करीब 25 प्रतिशत का अंत ई-कचरा के रूप में होता है।  
 
अध्ययन में कहा गया है,‘‘निश्चित रूप से भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल बाजार बनकर उभरा है जहां 1.03 अरब से ज्यादा मोबाइल उपभोक्ता हैं लेकिन यह दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा ई-कचरा उत्पादक भी है।’’ पर्यावरण मंत्रालय ने ई-कचरा प्रबंधन नियमावली-2016 को अधिसूचित किया है जिसमें पहली बार मोबाइल विनिर्माताओं की जवावदेही का विस्तार ईपीआर कर उन्हें इसके तहत लाया गया है। इस नियमावली में पहले दो सालों ईपीआर के तहत उत्पादित कचरे के 30 प्रतिशत संग्रहण का लक्ष्य है जिसे आगे बढ़ाते हुए सातवें साल तक 70 प्रतिशत करना है। 
 
नियमों का पालन नहीं करने पर कड़े आर्थिक दंड का प्रावधान भी इसमें किया गया है। हालांकि इस अध्ययन में कहा गया है कि भारत मेें असंगठित क्षेत्र ई-कचरा उत्पादन के 95 प्रतिशत को संभालता है। इसके अलावा भारत मेें दूरसंचार की व्यापक पहुंच के चलते मोबाइल उपकरण बनाने वाली कंपनियों के लिए व्यावाहारिक रूप से पहले साल के ई-कचरा संग्रहण लक्ष्य को पाना बहुत मुश्किल और खर्चीला होगा। इसमें कहा गया है कि ई-कचरा संग्रहण के इस लक्ष्य को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाना चाहिए। 
 

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