ऑटोमेशन की वजह से भारत में खत्म हो जाएगी 7 लाख जॉब्स

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Sep, 2017 01:02 PM

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भारत में बढ़ रहे ऑटोमेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस...

नई दिल्ली : भारत में बढ़ रहे ऑटोमेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल लेबर के कारण कई सारी जॉब्स खतरे में है। अमेरिकी रिसर्च फर्म ‘एचएफएस’ की ओर से जारी एक रिर्पोट के मुताबिक आने वाले पांच सालों में आईटी सेवाओं से जुड़े करीब 7 लाख जॉब्स खत्म होने की आशंका जतायी है। रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में 24 लाख कम कुशल श्रमिक हैं। 2022 तक इनकी संख्या 17 लाख पर पहुंच सकती है। 

आईटी और बीपीओ इंडस्ट्री पर सबसे ज्यादा असर 
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका सबसे ज्यादा असर घरेलू आईटी और बीपीओ इंडस्ट्री पर पड़ेगा। भारत में ही नहीं, बल्क‍ि वैश्व‍िक स्तर पर भी इन नौकरियों में कमी आने की आशंका है। वैश्व‍िक स्तर पर भी इन कम श्रमिकों की नौकरियों में 31 फीसदी की कमी आएगी। ऐसा ही ट्रेंड ब्रिटेन, अमेरिका और फिलीपींस सहित कुछ और देशों में दिख रहा है और वैश्विक स्तर पर करीब 14 लाख नौकरियां खत्म हो सकती हैं, यानी इसमें करीब नौ फीसदी की कमी आयेगी। इसी के साथ एक नया टर्म ‘डिजिटल  लेबर’ चलन में आ सकता है। इस रिसर्च में पहली बार ठोस आंकड़ों के साथ नौकरियों के लुप्त होने का  हिसाब लगाया गया है, हालांकि, उच्च कुशलता वाले कार्यों पर इसका खतरा फिलहाल कम दिख रहा है, लेकिन यदि नौकरियों की संख्या के लिहाज से देखा जाये,तो कम कुशलता वाले जॉब्स का आंकड़ा अपेक्षाकृत ज्यादा है,जो इसके चपेट में आ रहे हैं। 

आयेंगी नये तरह की नौकरियां
हालांकि, भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम करनेवाले निकाय नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (नेसकॉम) का कहना है कि आगामी कुछ वर्षों के दौरान नयी टेक्नोलॉजी से नये रोजगार भी पैदा होंगे, जो पहले से ज्यादा भी हो सकते हैं।  इस सिलसिले में प्रतिभा को आगे लाने का ध्यान व्यावहारिकता वाले बौद्धिकता पर होगा, न कि उसकी शैक्षणिक योग्यता को ही पैमाना बनाया जायेगा। एचएफसी की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि निम्न बौद्धिकता वाली नौकरियों में अगर 30 फीसदी की कमी आयेगी, तो मध्यम स्तर की बौद्धिकता वाली नौकरियों में आठ फीसदी और उच्च बौद्धिकता की नौकरियों में 56 फीसदी की बढ़ोतरी भी होगी। 

मुनाफे की मार्जिन 
भारत में आइटी-बीपीओ इंडस्ट्री में करीब 37 लाख कर्मचारी हैं, जिन पर आॅटोमेशन का असर पड़ सकता है। पांच श्रेष्ठ कंपनियों- टीसीएल, विप्रो, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, इन्फोसिस और कॉग्निजेंट के आंकड़ों का विश्लेषण करनेवाली ब्रोकरेज फर्म ‘सेंट्रम ब्रोकिंग’ के अनुसार, उनमें आॅटोमेशन के तेजी से बढ़ते उपयोग की वजह से वर्ष 2015 में नौकरियों में बड़े पैमाने पर कटौती कर दी गयी। 


 

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