Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Nov, 2017 04:20 PM
उच्चतम न्यायालय ने आज सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे ब्लूव्हेल चैलेंज...
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे ब्लूव्हेल चैलेंज जैसे वर्चुअल दुस्साहसिक खेलों के खतरों के प्रति स्कूली बच्चों में जागरूकता पैदा करें। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि स्कूल जाने वाले छात्रों को ‘जीवन की सुन्दरता’ और इस तरह के खेलों के खतरों के प्रति जागरूक बनाया जाना चाहिए। पीठ ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया कि वे संबंधित विभागों के सचिवों को इस संबंध में उचित कदम उठाने की हिदायत दें। शीर्ष अदालत ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भी ऐसे खेलों के दुष्प्रभावों के बारे में सभी स्कूलों को अवगत कराने को कहा।
न्यायालय कुछ राज्यों में ब्लूव्हेल चैलेंज खेलते हुये कुछ बच्चों द्वारा आत्महत्या करने की घटनाओं की जांच के लिये गठित केन्द्र सरकार की समिति की अंतरिम रिपोर्ट पर विचार कर रहा था। पीठ ने इसके साथ ही वकील स्नेहा कलिता की याचिका का निस्तारण कर दिया। इस याचिका में ब्लूव्हेल और जीवन के लिये खतरा पैदा करने वाले ऐसे ही दूसरे वर्चुअल डिजिटल खेलों को विनियमित करने और उनकी निगरानी के लिये दिशानिर्देश बनाने का अनुरोध किया गया था। शीर्ष अदालत ने 27 अक्तूबर को इस तरह के खेलों के खतरों के बारे में दूरदर्शन को दस मिनट का शिक्षाप्रद कार्यक्रम तैयार करने और इसका प्रसारण करने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने कहा था कि इस कार्यक्रम को सभी निजी चैनलों को भी अपने प्राइम टाइम में दिखाना चाहिए। न्यायालय ने इस तरह के खेलों के खतरों की चुनौतियों के संदर्भ में एक समिति गठित करने का केन्द्र सरकार को भी निर्देश दिया था।